आगरा के संयुक्त शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) आरपी शर्मा घूसकांड में अब विजिलेंस टीम की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। शासन द्वारा मामले की जांच के बाद विजिलेंस की कार्रवाई पर संदेह जाहिर किया गया है, जिसके चलते अब इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई है। साथ ही, विजिलेंस के एसपी के ट्रांसफर की भी चर्चा तेज हो गई है। विजिलेंस आगरा की टीम ने 17 अगस्त 2024 को आरपी शर्मा को तीन लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप था कि डीसी वैदिक इंटर कॉलेज शाहगंज के सहायक अध्यापक अजयपाल सिंह की नियुक्ति को फर्जी बताते हुए उससे शिकायत के निस्तारण के एवज में 10 लाख रुपये की मांग की जा रही थी। अजयपाल सिंह की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई, जिसमें आरपी शर्मा को तीन लाख रुपये की घूस लेते हुए गिरफ्तार किया गया था। इस पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व तत्कालीन एसपी विजिलेंस शगुन गौतम कर रहे थे। शिक्षकों का विरोध आरपी शर्मा की गिरफ्तारी के बाद आगरा और आसपास के जिलों के शिक्षकों ने इस कार्रवाई का जोरदार विरोध किया। शिक्षक संघ के सदस्यों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया और घेराव किया। उनका दावा था कि आरपी शर्मा को साजिश के तहत फंसाया गया है। इस विरोध के चलते शासन ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की, जिसमें सचिव सतर्कता राजेश कुमार और विशेष सचिव गृह विभाग वीके सिंह शामिल थे। इन अधिकारियों ने आगरा आकर विजिलेंस टीम के बयान दर्ज किए और अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी। शासन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि इस मामले की जांच अब सीबीसीआईडी करेगी, और विवेचना अपर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से कराई जाएगी। इसके साथ ही, इस प्रकरण में विजिलेंस द्वारा की गई ट्रैप कार्रवाई की जांच भी सीबीसीआईडी द्वारा की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह कार्रवाई सतर्कता अधिष्ठान द्वारा निर्धारित एसओपी/नियमावली के अनुरूप थी या नहीं। मामले का अनुश्रवण महानिदेशक अपराध अनुसंधान विभाग द्वारा निरंतर किया जाएगा। इस फैसले से न केवल विजिलेंस टीम की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं, बल्कि यह भी स्पष्ट हो गया है कि मामले की तह तक जाने के लिए अब सीबीसीआईडी द्वारा गहराई से जांच की जाएगी।
