मथुरा के छाता कस्बे में स्थित ऐतिहासिक छतरियों की जर्जर स्थिति से एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। दिल्ली गेट पर स्थित इन प्राचीन छतरियों से गिरे पत्थरों ने एक मकान की छत को क्षतिग्रस्त कर दिया। घटना के समय मकान में स्नान कर रहा एक युवक बाल-बाल बच गया। शेरशाह सूरी काल की इन ऐतिहासिक छतरियों की वजह से ही इस कस्बे का नाम ‘छाता’ पड़ा। स्थानीय निवासी मोहम्मद गुलफान के अनुसार, इन धरोहरों की देखभाल के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। पुरातत्व विभाग की उदासीनता के कारण ये छतरियां पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं और समय-समय पर इनके पत्थर गिरने का सिलसिला जारी है। स्थानीय लोगों ने कई बार इस समस्या की शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। गुरुवार को हुई इस घटना में तीन-चार पत्थरों के गिरने से मकान की छत की पटिया टूट गई। प्रभावित परिवार ने उपजिलाधिकारी छाता श्वेता सिंह को इस संबंध में प्रार्थना पत्र देने की बात कही है। यह घटना इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। यदि समय रहते इन छतरियों की मरम्मत और देखभाल नहीं की गई, तो भविष्य में कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
