कानपुर में पुलिस ने 7 जालसाजों को गिरफ्तार किया है। वे साइबर ठगी करते थे। खुद को पुलिस अफसर या उनका रिश्तेदार बताकर लोगों को फोन करते थे। उन्हें नौकरी का झांसा देते थे। उसके बाद खातों में रुपए ट्रांसफर करा लेते थे। रुपए मिलते ही फोन कर देते थे। ठगी की रकम मंगाने के लिए गरीब-मजदूरों का सौ से ज्यादा बैंक अकाउंट किराए पर ले रखा था। पुलिस ने सभी को जेल भेज दिया। जबकि उनके साथियों की तलाश में छापेमारी कर रही है। करोड़ों की ठगी को दे चुके हैं अंजाम डीसीपी वेस्ट राजेश कुमार सिंह ने साइबर ठगों के गैंग का खुलासा करते हुए बताया कि वेस्ट जोन की साइबर टीम ने गिरोह का खुलासा किया है। एटूजेड तिराहे से ठग गैंग की सूचना पर पनकी, बिठूर और कल्याणपुर थाने की संयुक्त फोर्स मौके पर पहुंची और सात युवकों को दबोच लिया। युवकों की तलाशी में उनके पास से विभिन्न बैंकों के 46 एटीएम कार्ड, 7 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एक टेबलेट, छह आधार कार्ड, 21 चेक बुक, पांच पास बुक और 22 हजार 500 रुपये नकद बरामद हुए। पूछताछ में युवकों ने साइबर ठगी करने की बात स्वीकार की, जिस पर उन्हें गिरफ्तार कर पनकी थाने लाया गया। 7 साइबर ठग हुए अरेस्ट डीसीपी वेस्ट ने बताया कि पकड़े गये आरोपियों में नारामऊ मंधना निवासी मनीष कुमार, आवास विकास-एक कल्याणपुर निवासी दीपेन्द्र सिंह गौर, पुराना शिवली रोड कल्याणपुर निवासी सुमित सिंह, अरौल के रौंगाव निवासी रोहित यादव उर्फ युवी, फ्रेडस कॉलोनी भरथना रोड इटावा निवासी पवन कुमार, कश्यपनगर बम्बा रोड कल्याणपुर निवासी रोहन सिंह सेंगर और कानपुर देहात के रसूलाबाद के जिताई का पुरवा गांव निवासी अभय प्रताप सिंह हैं। कभी आवाज बदलकर तो कभी अफसर बनकर करते थे ठगी डीसीपी ने बताया कि पकड़े गये सातो आरोपी शातिर साइबर ठग हैं। यह लोगा पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को डरा धमकाकर, वाइस चेंजर एप मोफ्वॉक्स के जरिये आवाज बदलकर परिचित बनकर सहायता मांगकर या फिर नौकरी लगवाने य अन्य प्रलोभन देकर लोगों को अपना शिकार बनाते थे। इसी तरह से सैकड़ों अलग-अलग तरीके से दिन भर लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाते थे। गरीबों को झांसे में लेकर किराए पर लेते बैंक अकाउंट डीसीपी ने बताया कि गिरोह के सदस्य जिसे अपना शिकार बनाते थे, उससे रुपये अपने किराये के खाते में मंगवाते थे। यह खाते गिरोह के सदस्य किसी गरीब को जाल में फंसाकर उसका खुलवाते थे, जिसके बदले में खाता खोलने वाले को दो-तीन हजार रुपये देते थे। खाते में गिरोह के सदस्य अपना मोबाइल नम्बर देते थे और खाते का इस्तेमाल ठगी की रकम मंगवाने में करते थे। यह लोग तब तक खाता चलाते थे, जब तक वह पुलिस द्वारा सीज न कर दिया जाये। डीसीपी ने बताया कि गिरोह का सरगना गौतमबुद्ध नगर निवासी इक्का भाटी उर्फ तनुज है जो गिरोह के सदस्यों को प्रत्येक खाता खोलने पर दस से बाहर हजार रुपये देता था। खाता खोलने के बाद यह लोग अपना ठगी का धंधा शुरू करते थे।
