कानपुर आईआईटी की रिसर्च स्कॉलर ने अपनी जान दे दी। गुरुवार को 26 साल की छात्रा का शव हॉस्टल में फंदे से लटका मिला। कल्याणपुर थाने की पुलिस और फोरेंसिक टीम ने जांच की। परिवार के लोग भी मौके पर पहुंचे। एक सुसाइड नोट मिला है। छात्रा ने लिखा- मैं अपनी मौत की खुद जिम्मेदार हूं। अपने दोस्तों के लिए लिखा- आप लोगों ने मुझे बहुत को-ऑपरेट किया, थैक्स…। नोट में किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है। उसने जिस रस्सी से फंदा बनाया, उसे ऑनलाइन मंगवाया था। बतौर सबूत पुलिस ने उसे कब्जे में लिया है। अब पूरा मामला समझिए… क्लास में नहीं आने पर दोस्त हॉस्टल पहुंचे
कानपुर IIT में प्रगति अर्थ साइंसेस डिपार्टमेंट में रिसर्च कर रही थी। वह हॉस्टल के रूम D-216 में अकेली रहती थी। गुरुवार सुबह वह क्लास अटैंड करने नहीं गई। दोस्तों ने उसके मोबाइल पर फोन कर संपर्क करने का प्रयास किया। मगर, फोन नहीं उठा। अनहोनी की आशंका से हॉस्टल एडमिन को बताया गया। खबर में पोल भी है, आप हिस्सा लेकर अपनी राय दे सकते हैं… दरवाजा तोड़कर बॉडी फंदे से उतारी
करीब 11.30 बजे छात्र-छात्राएं और एडमिन के लोग प्रगति के कमरे पर पहुंचे। दरवाजा अंदर से बंद था। लोगों ने फिर फोन लगाया तो मोबाइल की रिंगटोन बाहर तक सुनाई पड़ रही थी। कमरे के रोशनदान से देखा गया, तब प्रगति का शव फंदे पर लटका दिखा। इसके बाद पुलिस को जानकारी दी गई। दरवाजा तोड़कर करीब 12 बजे पुलिस और हॉस्टल के लोग अंदर दाखिल हुए। प्रगति के परिवार को भी जानकारी दी गई। पुलिस ने कहा- ऑनलाइन मंगवाई थी रस्सी
पुलिस सोर्स के मुताबिक, कमरे में एक टेबल थी, जिस पर कुछ पन्ने मिले हैं। प्रगति ने सुसाइड से पहले आखिरी नोट लिखा है। पुलिस ने उसे अपने कब्जे में लिया है। जांच के बाद पुलिस ने बताया कि हॉस्टल में रस्सी ऑनलाइन मंगवाई गई थी। कमरे के एक कोने में ऑनलाइन डिलीवरी का पैकेट पड़ा था, जिसमें रस्सी ही पैक होकर आई थी। इसको भी बतौर सबूत पुलिस ने कब्जे में लिया है। पिता बोले – बेटी ये तूने क्या किया
चकेरी सनिगवां के रहने वाले गोविंद गुप्ता ने बताया- मैं लाला पुरुषोत्तम दास ज्वैलर्स में स्टॉक मैनेजर हूं। मेरी बेटी प्रगति गुप्ता आईआईटी से पीएचडी कर रही थी। वह फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रही थी। गुरुवार सुबह उसका फोन रिसीव नहीं हो रहा था। साथ पढ़ने वाले वाले छात्र उसके कमरे तक गए। दरवाजा खुलवाना चाहा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे पिता गोविंद गुप्ता शव देखते ही बिलख-बिलख कर रोने लगे। बोले- ये तूने क्या कर लिया बेटी, तुम तो हमारी शान थी। पिता बोले- अभी घर बनवाने में उसने पैसा दिया
प्रगति 3 भाइयों में अकेली बहन थी। बड़े भाई सत्यम HDFC में जॉब करते हैं। दूसरा बेटा शिवम NTPC में इंजीनियर है। तीसरा बेटा सुंदरम इन्फोसिस में इंजीनियर है। पिता ने बताया कि बेटी होनहार होने के साथ घर की जिम्मेदारियां भी निभाती थी। अभी हाल ही में घर बनवाने में बेटी ने बहुत सहयोग किया। यह रकम उसने अपनी रिसर्च स्कॉलर से आने वाली रुपयों को जोड़कर दी थी। ताऊ ने गोपालदास कहा – IIT के लोग 2 घंटे से आए नहीं है। कोई कुछ बताने वाला नहीं है। क्या इस कैंपस में कोई कुछ देखने वाला नहीं है। भाई बोले- कल सुबह मेरी बेटी से प्रगति की बात हुई, तब वो नॉर्मल थी
प्रगति के भाई सत्यम ने कहा- प्रगति की कल सुबह मेरी बेटी से बात हुई। तब वह बिल्कुल नॉर्मल थी। कोई परेशानी जैसा नहीं था। एक बार नहीं लगा कि वह ऐसा कर सकती है। हमें अंदाजा नहीं है कि उसने सुसाइड क्यों किया है? दिल्ली से बीएससी, बुंदेलखंड से एमएससी किया
पिता ने कहा- मेरी बेटी प्रगति पढ़ने में बचपन से ही होशियार थी। उसने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से बीएससी, झांसी के बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से एमएससी की। अब आईआईटी कानपुर से पीएचडी कर रही थी। कल्याणपुर थाने की पुलिस और फोरेंसिक टीम ने मौके से साक्ष्य जुटाए। अब आपको सुसाइड के पीछे विशेषज्ञ की राय बताते हैं… कंपटीशन ज्यादा होने के चलते बढ़ रहा तनाव
कानपुर के मनोचिकित्सक डॉ. धनंजय चौधरी कहते हैं- ‘इस समय पढ़ाई में कंपटीशन अधिक बढ़ गया है। इस कारण बच्चों में भी तनाव बढ़ता जा रहा है। जब कोई बच्चा अपना घर, अपना शहर छोड़कर नई जगह पर जाता है तो उसके सामने चुनौतियां अधिक होती है। ऐसे में छात्र-छात्राएं कभी-कभी तनाव में आ जाते है। यदि इस समय उन्हें कोई सही दिशा दिखाने वाला नहीं मिलता है तो उनके मन में नकारात्मक विचार आने शुरू हो जाते है।’ 13 से 30 साल वाले बच्चों में ज्यादा है नकारात्मक विचार
डॉ. धनंजय चौधरी के मुताबिक, ’13 से 30 साल के लोगों में नकारात्मक सोच बहुत जल्दी डेवलप होती है, क्योंकि इस उम्र में आपके हार्मोन बहुत जल्दी डेवलप होते है। इस समय आप जो सोचेंगे उसी तरह के हार्मोन भी बनेंगे। जब-जब हार्मोन बदलते हैं तो उत्तेजना अधिक होती है। ऐसे में ही कभी-कभी बच्चे गलत कदम उठा लेते है।’ माता-पिता व शिक्षकों से करें बात शेयर
डॉ. चौधरी ने कहा, ‘बच्चों को यह समझाना बहुत जरूरी है कि यदि कोई मुसीबत में आप पड़ते हो तो उससे निकालने के लिए माता-पिता व शिक्षक ही सबसे ज्यादा साथ देंगे। यदि उनके मन में शिक्षकों व घर वालों का डर होगा तो कभी भी बच्चे अपनी बात किसी से शेयर नहीं कर सकेंगे। इसलिए उनके माइंड को परिवार के लोग पढ़े और नकारात्मक विचारों को निकालने का प्रयास करें।’ यह भी पढें : IIT कानपुर में 30 दिन में 3 सुसाइड:शिक्षण संस्थान के जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी, अब तक 14 लोग कर चुके है आत्महत्या IIT कानपुर अब कोटा बनता जा रहा है। यहां पर अब तक 14 सुसाइड हो चुके है। इसमें स्टूडेंट्स से लेकर स्टाफ तक शामिल हैं। वहीं, संस्थान के जिम्मेदार अधिकारी इस पर कुछ बोलना तक नहीं चाह रहे है। गुरुवार को झारखंड की प्रियंका जायसवाल ने फांसी लगाकर अपनी जान दी। पढ़िए पूरी खबर..
