गर्भावस्था के दौरान एक महिला को बहुत सारे टेस्ट या परीक्षणों से गुजरना पड़ता हैं। उनमें से कुछ परीक्षण मां और गर्भस्थ शिशु, दोनों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए किए जाते हैं। और दूसरी तरफ कुछ परीक्षण, डॉक्टर की ओर से किसी भी समस्या पर संदेह होने पर किए जाने की सलाह दी जाती हैं। डबल मार्कर-क्वाड्रूपल परीक्षण से गर्भस्थ शिशु की सेहत को आसानी से परखा जा सकता हैं। जेनेटिक बीमारियों का भी पता चल जाता हैं। इससे समय रहते ही आसानी से इलाज सुनिश्चित कर लिया जाता हैं। ये जानकारी लोहिया संस्थान में ऑब्स एंड गायनी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रूपिता कुलश्रेष्ठ ने दी। वे रविवार को संस्थान में आयोजित कार्यशाला में जानकारी साझा कर रही थी। डॉ.रूपिता ने गर्भावस्था में ही हाइपरटेंसिव डिसऑर्डर्स बायो मार्कर के महत्व पर भी प्रकाश डाला। सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज, आगरा की बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष, डॉ कामना सिंह ने एलआईएच सोल्यूशन के उपयोग के बारे में जानकारी दी। लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने कहा कि संस्थान में आईआरएफ होने के कारण अधिकांश जांच यहीं हो जाती हैं। कॉर्डन जीनोमिक्स के संस्थापक डॉ.अरविंद चौधरी ने बताया कि जेनेटिक जांचों के माध्यम से संक्रामक रोगों को समय से पहचाना जा सकता है। इस मौके पर वरिष्ठ पल्मोनोलोजिस्ट डॉ. राजेंद्र प्रसाद, SGPGI के प्रोफेसर डॉ.राघवेंद्रन लिंघाइया, एम्स, गोरखपुर के प्रो.प्रभात, अमृता इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, फरीदाबाद के प्रोफेसर अरुण कुमार हरित, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर संस्थान के प्रोफेसर डॉ. प्रतिभा गावेल, लोहिया संस्थान में बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष राज कुलश्रेष्ठ और सीनियर प्रोफेसर डॉ. वंदना तिवारी ने जांच में विभिन्न नई तकनीक के इस्तेमाल करने और उसके लाभों के बारे में जानकारी साझा की।
