देवरिया में बहुचर्चित बाल गृह बालिका कांड की जांच में जुटी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की टीम सोमवार को एक बार फिर शहर पहुंची। सीबीआई की टीम लखनऊ के सीओ के नेतृत्व में रेलवे स्टेशन रोड स्थित उस भवन पर पहुंची जहां मां विध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण संस्थान द्वारा संचालित बाल गृह चलता था। टीम ने भवन स्वामी जय प्रकाश अग्रवाल, आनंद कुमार अग्रवाल, राजू कुमार अग्रवाल, गृह की संचालिका रही गिरिजा त्रिपाठी और जिला प्रोबेशन अधिकारी अनिल कुमार को तलब किया। सीबीआई टीम ने स्थानीय पुलिस की मौजूदगी में 6 साल से बंद भवन के सील को तोड़ा और स्वामित्व का अधिकार भवन मालिक को सौंप दिया। तकरीबन एक घंटे की तफ्तीश के बाद टीम वापस लखनऊ के लिए रवाना हो गई। पांच साल पहले हुआ था बड़ा खुलासा
देवरिया में 5 अगस्त 2018 को उस समय सनसनी मच गई थी, जब एक किशोरी बाल गृह से भागकर तत्कालीन एसपी रोहन पी कनय के पास पहुंची और संस्था में हो रहे अमानवीय कार्यों का पर्दाफाश किया। एसपी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए संस्था पर छापा मारा और 23 लड़कियों को छुड़ाया था। उसी रात एसपी ने प्रेस वार्ता में पूरे मामले का खुलासा किया, जिसने प्रदेश में तहलका मचा दिया था। बड़े-बड़े नाम आए थे घेरे में
मामले में गिरिजा त्रिपाठी, उनके पति मोहन त्रिपाठी सहित अन्य कई लोग गिरफ्तार हुए थे। बाद में एसआईटी की जांच में और भी नाम सामने आए, जिनमें गिरिजा त्रिपाठी की बेटी कंचनलता भी शामिल थीं। इस पर प्रदेश सरकार ने मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था, जिसके बाद सीबीआई ने लखनऊ में दो मुकदमे दर्ज कर पूरे मामले की बारीकी से जांच शुरू की और संस्था को सील कर दिया था। पदों पर गिरी थी गाज, फिर बहाल हुए अधिकारी
इस हाई प्रोफाइल मामले के बाद सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए तत्कालीन एसपी रोहन पी कनय, सीओ सिटी, शहर कोतवाल वीके सिंह गौर, और चौकी प्रभारी जटाशंकर सिंह को निलंबित कर दिया था। हालांकि बाद में अदालत के आदेश पर इन्हें बहाल कर दिया गया।
