5 भाषाओं में श्रीमद्भागवत कथा सुनाने वालीं देश की पहली किन्नर कथावाचक महामंडलेश्वर हिमांगी सखी प्रयागराज में नया अखाड़ा बनाने की तैयारी में हैं। 15वें अखाड़े के रूप में वह वैष्णव किन्नर अखाड़ा स्थापित करने जा रही हैं। इस बारे में उन्होंने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। दरअसल, अभी तक अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अंतर्गत साधु-संतों के कुल 13 अखाड़े हैं। नए अखाड़े के रूप में श्री पंचदशनाम श्री संत गुरुदत्त अखाड़ा बना। इसके बाद इसे लेकर 26 अक्टूबर को विवाद भी शुरू हो गया था। अब एक और अखाड़े की तैयारी महामंडलेश्वर हिमांगी सखी कर रही हैं। पढ़िए क्या कहती हैं महामंडलेश्वर हिमांगी सखी… किन्नरों को शिक्षित करने के लिए बनाऊंगी अखाड़ा
हिमांगी सखी ने कहा- किन्नरों को आज भी समाज में उपेक्षित होना पड़ा रहा है। उन्हें सम्मान नहीं मिला रहा, शिक्षा से वंचित हैं। अपने जीवन यापन के लिए दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ रहा। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा। वैष्णव किन्नर अखाड़े का गठन करके उसमें देश-दुनिया के किन्नरों को जोड़ने का काम करूंगी। उन्हें शिक्षित करके नई दिशा देने का प्रयास करूंगी। इस पृथ्वी पर सबसे पहले अर्धनारीश्वर की उत्पत्ति हुई थी, तो उनके साथ सौतेला व्यवहार क्यों? आखिर उन्हें सम्मान कब मिलेगा? महाकुंभ में लगाएंगी अर्धनारीश्वर धाम का शिविर
हिमांगी सखी ने बताया- मैं किन्नर अर्धनारीश्वर धाम का शिविर महाकुंभ क्षेत्र में लगाऊंगी। साथ ही शिविर में श्रीमद्भागवत गीता की कथा करूंगी। बता दें, हिमांगी सखी देश की पहली किन्नर कथावाचक हैं। महाकुंभ में घर अलग होंगे, लेकिन हम एक हैं
उन्होंने कहा- 2025 के महाकुंभ में बेशक हमारे घर अलग-अलग होंगे, लेकिन परिवार एक है। एक थे और हमेशा एक रहेंगे। हम महाकुंभ में भी यही संदेश देने का काम करेंगे कि हम न तो महामंडलेश्वर और न ही आचार्य महामंडलेश्वर। हम सब अर्धनारीश्वर हैं, जो भगवान शिव का स्वरूप हैं। उन्होंने कहा- नए अखाड़े के लिए हमने महाकुंभ के मेला अधिकारी विजय किरन आनंद से भी बातचीत की है। मेला क्षेत्र में शिविर लगाने के लिए सुविधाओं की भी मांग की गई है। 8 से 10 और 13 अखाड़े हुए, तो 15वां क्यों नहीं?
हिमांगी सखी ने कहा- नए अखाड़े को लेकर विवाद हो सकता है। पहले 8 अखाड़ों का गठन हुआ था। इसके बाद 10 और फिर 13 अखाड़े बन गए। अब 14वां और 15वां अखाड़ा क्यों नहीं बन सकता? इसमें किसी काे दिक्कत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा- हमने नए अखाड़े के लिए पूरी तैयारी कर ली है। महाकुंभ के पहले ही पट्टा अभिषेक जैसे का कार्यक्रम होंगे। इसमें महामंडलेश्वर बनाए जाएंगे। रविंद्र पुरी बोले- हमारे यहां सिर्फ 13 अखाड़े ही मान्य अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने नए अखाड़े के गठन के संबंध में कहा कि बहुत पहले से सिर्फ 13 अखाड़े ही चले आ रहे हैं। इसे शंकराचार्यों ने बनाया था। ऐसा नहीं है कि कोई भी आकर नया अखाड़ा बना लेगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की तरफ से किसी भी नए अखाड़े के गठन की अनुमति नहीं दी जाती। 2015 में भी बना था किन्नर अखाड़ा
किन्नर अखाड़े का गठन 2015 में भी हुआ था, जिसकी आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी हैं। यह अखाड़ा जूना अखाड़े के अधीन है। पहली बार 2019 के कुंभ मेले में इस किन्नर अखाड़े ने धूमधाम से पेशवाई निकाली थी। देश में 13 अखाड़ों को मान्यता
मान्यता प्राप्त 13 अखाड़ों के संत, महंत और महामंडलेश्वर को कुंभ के दौरान मेले में सुविधा और पेशवाई में निकलने का मौका मिलता है। हालांकि, उज्जैन 2016 में हुए कुंभ मेले के दौरान किन्नर अखाड़ा भी अस्तित्व में आया। लेकिन, अखाड़ा परिषद ने उसे मान्यता देने से मना कर दिया। बाद में किन्नर अखाड़ा श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के हिस्से के रूप में शामिल किया गया। अलग मान्यता देने को लेकर विरोध चल रहा है। फिलहाल, 3 संप्रदायों के अखाड़े हैं, जिनमें महामंडलेश्वर का पद होता है। ये तीनों संप्रदाय अलग-अलग हैं। इनमें शैव (शिव को मानने वाले), वैष्णव संप्रदाय (विष्णु और उनके अवतारों को मानने वाले) और उदासीन संप्रदाय शामिल हैं। इसमें शैव संप्रदाय के सात अखाड़े हैं। वैष्णव और उदासीन संप्रदाय के तीन-तीन अखाड़े हैं। ………………………………… ये खबर भी पढ़िए… प्रयागराज महाकुंभ में 71 दलित संत महामंडलेश्वर बनेंगे, हिंदुओं को बौद्ध, ईसाई बनने से रोकेंगे 2025 में प्रयागराज महाकुंभ में एससी-एसटी समाज से 71 लोग महामंडलेश्वर बनेंगे। महामंडलेश्वर की उपाधि जूना अखाड़ा देगा। इन सभी संतों ने दो से तीन साल पहले अखाड़े में संन्यास लिया था। महामंडलेश्वर बनने के बाद इन्हें अखाड़े के मठ-मंदिरों की जिम्मेदारी दी जाएगी। पढ़िए पूरी खबर ‘मुस्लिम संत बनकर घूम रहे…महाकुंभ में आधार देखकर एंट्री मिले’;प्रयागराज में अखाड़ा परिषद का फैसला; शाही-पेशवाई शब्द हटाने की मांग हमने हरिद्वार में देखा है कि वहां कई मुस्लिम भाई संत बनकर घूम रहे हैं। इसलिए जरूरी है, जो भी प्रयागराज महाकुंभ में आए, उसकी जांच हो। उसके पास आधार कार्ड हो, ताकि उसकी पहचान हो सके। हमारे साधु-संत, श्रद्धालु और शासन-प्रशासन सभी सुरक्षित हो सकें। ये महाकुंभ है, कोई भी उग्रवादी यहां संत बनकर आ सकता है। पढ़ें पूरी खबर
