प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। पुलिस ने इस प्रकरण में 17 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जांच में पता चला है कि फर्जी जियो टैगिंग के जरिए अवैध तरीके से योजना के तहत भुगतान किया जा रहा था। संबंधित कंपनी की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया, जिसके बाद अब तक तीन इंजीनियरों सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें चार लाभार्थी भी शामिल हैं। फर्जीवाड़े का खुलासा
यह मामला बलरामपुर के आदर्श नगर पालिका, उतरौला, तुलसीपुर और पचपेड़वा से जुड़ा है। यहां फर्जी जियो टैगिंग कर लाभार्थियों के अधूरे आवासों को पूरा दिखाकर भुगतान किया गया था। प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को कुल ढाई लाख रुपये दिए जाते हैं। इसमें तीन चरणों में पैसे का वितरण होता है, और जियो टैगिंग का कार्य एक संस्था को सौंपा गया था। पुलिस कार्रवाई और आगे की जांच
पुलिस ने अब तक चार थानों में मामला दर्ज किया है, और हर पहलू की जांच की जा रही है। एसपी विकास कुमार ने बताया कि पुलिस टीमें तथ्यात्मक अभिलेख खंगाल रही हैं। साथ ही, नगरीय विकास अभिकरण के कर्मचारियों से पूछताछ की तैयारी भी चल रही है। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि फर्जी जियो टैगिंग से लाभार्थियों को कितनी धनराशि का भुगतान किया गया है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस मामले ने सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर किया है।
