संतकबीरनगर के मध्य स्थित नगर वाली माता मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है। मंदिर की स्थापना महायोगी महेंद्र नाथ के नेपाल यात्रा के दौरान हुई थी। यहां मुराद मांगने वाले श्रद्धालुओं की मुरादें हमेशा पूरी होती हैं, जिसके कारण नवरात्रि के दौरान यहां मेले जैसा माहौल रहता है। संतकबीरनगर के मेंहदावल कस्बे के बीचों-बीच स्थित नगर वाली माता मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष धार्मिक स्थल है। रोडवेज से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर पूरे वर्ष भक्तों के आकर्षण का केंद्र रहता है। नगर पंचायत कार्यालय से लगभग दो सौ मीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर का इतिहास महायोगी महेंद्र नाथ से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने यहां देवी माता के दर्शन प्राप्त कर देवी की पड़ी स्थापित की थी। लगभग दो सौ साल पहले, जब यह स्थान घने जंगल से घिरा हुआ था, महायोगी महेंद्र नाथ नेपाल यात्रा के दौरान यहाँ ठहरे थे। यहीं पर उन्हें देवी माता के दर्शन हुए और उन्होंने यहाँ पूजा स्थल की स्थापना की। इसके बाद से इस स्थान का धार्मिक महत्व बढ़ता चला गया। पंडित तारापती त्रिपाठी के वंशज आज भी यहाँ पुजारी का कार्य करते आ रहे हैं। माता के दरबार में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है नगर वाली माता मंदिर की महिमा भक्तों के बीच अत्यंत प्रसिद्ध है। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि माता के दरबार में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मंदिर में पूरे वर्ष मुंडन और अन्य शुभ कार्यों के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। खासकर नवरात्रि के दौरान यहाँ भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, और पूरा वातावरण मेले जैसा हो जाता है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर में विशेष व्यवस्थाएं की गई है मंदिर के दरवाजे सुबह पाँच बजे साफ-सफाई के बाद श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर में विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं ताकि पूजा-अर्चना में किसी प्रकार की दिक्कत न हो। स्थानीय भक्त वीरेंद्र, सिद्धांत, स्वप्निल, सचिन, और आयुष बताते हैं कि “नगर वाली माता की महिमा अपरंपार है, नवरात्रि के दौरान देवी माँ के दर्शन से मन को विशेष शांति और आनंद की प्राप्ति होती है।”
