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साढ़े 7 साल में सपा के 22 विधायकों-सांसदों पर केस:3 विधायक सदस्यता गंवा चुके; अब विधायक-सांसद नफरती बयान में फंसे

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मुस्लिम आबादी बढ़ गई है। तुम्हारा (भाजपा का) राज खत्म हो जाएगा। मुगलों ने देश में 800 साल राज किया। जब वो नहीं रहे, तो तुम क्या रहोगे? 2027 में तुम जाओगे जरूर, हम आएंगे जरूर। – महबूब अली, विधायक अमरोहा अगर गांजा कानूनन अवैध है, तो पीने की छूट क्यों है? ये दोहरी नीति नहीं चलेगी। कुंभ में एक मालगाड़ी गांजा चला जाए तो खप जाएगा। साधु, संत, महात्मा और समाज के बहुत लोग गांजा बड़े शौक से पीते हैं। न यकीन हो तो मेरे साथ गाजीपुर के मठों में चलकर देखिए। लखनऊ में भी पी रहे हैं। मेरी मांग है कि इसे कानून का दर्जा दे दीजिए। – अफजाल अंसारी, सांसद, गाजीपुर 10 दिन में सपा के दो नेताओं (पहला विधायक और दूसरा सांसद) ने ये बयान दिए। इन्हें समाज में नफरत फैलाने का बयान माना गया। उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया। यह पहली बार नहीं है, जब सपा नेताओं पर FIR दर्ज की गई। भाजपा के साढ़े 7 साल के कार्यकाल में सपा के कुल 22 विधायकों और सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए। नेताओं पर जो केस दर्ज हुए हैं, उनमें रेप, जमीन हड़पने जैसे गंभीर अपराधों से लेकर आत्महत्या के लिए उकसाना, समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और अपमानजनक टिप्पणी करना शामिल है। जानिए, किस मामले में किस पर FIR हुई… जिन 22 विधायकों और सांसदों पर FIR हुई, उनमें 2017 और 2022 में चुने गए नेता भी शामिल हैं। 3 विधायकों को सजा भी होने से उनकी सदस्यता भी चली गई। इस सूची में 11 मौजूदा विधायक और दो मौजूदा सांसद हैं, जिनके खिलाफ केस दर्ज हुए। इनमें कुछ जेल में हैं, बाकी जमानत पर हैं। 3 विधायकों पर पिछले कार्यकाल में केस दर्ज हुआ था, वे 2022 का विधानसभा चुनाव हार गए थे। जिन पर केस दर्ज हुए, उनमें शिवपाल सिंह यादव से लेकर आजमगढ़ से विधायक रमाकांत यादव और आजम खान से लेकर जाहिद बेग तक के नाम शामिल हैं। सपा के दो मौजूदा विधायक जेल में
मौजूदा समय में समाजवादी पार्टी के दो विधायक जेल में बंद हैं। ये भदोही से विधायक जाहिद बेग और आजमगढ़ की फूलपुर पवई से विधायक रमाकांत यादव हैं। इसके अलावा इस दौर में जेल का सफर तय करने वाले विधायकों में नाहिद हसन, रफीक अंसारी का नाम शामिल है। पूर्व विधायकों में इरफान सोलंकी, रामेश्वर सिंह यादव, आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम भी मौजूदा समय में जेल में बंद हैं। एक नजर उन नेताओं पर जिनपर, बीते साढ़े 7 साल में केस दर्ज हुए… शिवपाल सिंह यादव, जसवंतनगर विधायक: इसी साल मई में लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने और दो समुदायों के बीच दुर्भावना फैलाने के मामले में केस दर्ज हुआ। प्रभु नारायण सिंह, सकलडीहा विधायक: दिसंबर, 2021 में चंदौली में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ प्रभु नारायण पर पुलिस टीम पर हमला करने के आरोप में केस दर्ज हुआ था। प्रभु नारायण को पिछले ही महीने 2015 के एक मामले में 3 महीने की सजा सुनाई गई। मनोज पारस, नगीना विधायक: 2021 में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान मनोज पारस पर बिजनौर के सरायमीर इलाके में रोजा-इफ्तार पार्टी आयोजित करने पर मुकदमा दर्ज किया गया था। उनके साथ कुछ अन्य लोगों को भी नामजद किया गया था। हालांकि, मनोज पारस का दावा है कि कोर्ट उन्हें इस मामले में बरी कर चुकी है। शहजिल इस्लाम, भोजीपुरा विधायक: अप्रैल, 2022 में एक समारोह के दौरान सीएम योगी के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद शहजिल इस्लाम के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उन पर दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और धमकी देने का आरोप था। राकेश कुमार वर्मा, रानीगंज विधायक : जून, 2022 में प्रतापगढ़ पुलिस ने राकेश वर्मा और अन्य लोगों पर मामला दर्ज किया था। उन पर एक निर्माणाधीन सरकारी भवन में भ्रष्टाचार का दावा करने के लिए एक ‘झूठा वीडियो’ बनाने का आरोप लगाया गया था। वीडियो में राकेश वर्मा दीवार को अपने हाथ से धक्का देते हुए दिखाई दे रहे थे, जिससे दीवार गिर जाती है। आजम खान, पूर्व मंत्री: आजम खान 10 बार के विधायक, पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री रह चुके हैं। वह वर्तमान में सीतापुर जिला जेल में बंद हैं। योगी के सीएम बनने के बाद से उनके खिलाफ 81 मामले दर्ज किए गए। इनमें जमीन हड़पने से लेकर धोखाधड़ी तक के आरोप शामिल हैं। कई मामलों में उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला सह-आरोपी हैं। खान को अब तक 6 मामलों में दोषी ठहराया गया है। अक्टूबर 2022 में, 2019 के भड़काऊ भाषण मामले में दोषी ठहराए जाने और 3 साल की सजा सुनाए जाने के बाद आजम खान ने अपनी रामपुर सदर सीट सदस्यता खो दी थी। अब्दुल्ला आजम खान, पूर्व विधायक स्वार: फरवरी 2023 में मुरादाबाद की एक अदालत ने अब्दुल्ला और उनके पिता आजम खान को 2008 के एक मामले में सजा सुनाई थी। इसमें उन पर मुरादाबाद में पुलिस चेकिंग के विरोध में अपने वाहन से यातायात अवरुद्ध करने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद अब्दुल्ला को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। तंजीन फातिमा, पूर्व विधायक रामपुर: तंजीन फातिमा आजम खान की पत्नी हैं। कई केस में वह आजम खान और बेटे अब्दुल्लाह आजम के साथ नामजद हैं। हाल ही में जमानत पर बाहर आई हैं। समाजवादी पार्टी ने 2014 में तंजीन फातिमा को पहली बार राज्यसभा भेजा था। उनका कार्यकाल 2014 से 2019 तक रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब आजम खान रामपुर से जीत कर लोकसभा पहुंचे, तो तंजीन ने उनके स्थान पर विधानसभा का उपचुनाव लड़ा। वह 2019 से 2022 तक विधायक रहीं। तूफानी सरोज, केराकत विधायक: सपा नेता पर जौनपुर के केराकत में अपनी ही पार्टी के निर्वाचन क्षेत्र प्रभारी विवेक कुमार यादव को फोन पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप है। अभय सिंह, गोसाईगंज विधायक: 2022 के विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान अभय और उनके समर्थकों पर महराजगंज थाने में भाजपा उम्मीदवार आरती तिवारी के समर्थकों के साथ झड़प के बाद मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में एक-दूसरे पर पत्थरबाजी और कथित तौर पर गोलीबारी की गई थी। आरती तिवारी पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ ​​खब्बू तिवारी की पत्नी हैं। माना जाता है, राज्यसभा में उन्होंने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था। रामेश्वर सिंह यादव, पूर्व विधायक अलीगंज: सपा के पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव को एटा पुलिस ने 2022 में जमीन हड़पने समेत कई आरोपों में गिरफ्तार किया था। उन पर गैंगस्टर एक्ट लगाया गया था। जेल में रहने के दौरान उन पर अपने छोटे भाई जोगेंद्र समेत अपने परिवार के तीन सदस्यों के साथ 48 साल की विवाहित महिला को नौकरी दिलाने के बहाने यौन उत्पीड़न करने का मामला भी दर्ज किया गया था। योगेश प्रताप सिंह, पूर्व विधायक कर्नलगंज: योगेश प्रताप सिंह पर फरवरी, 2022 में 45 साल की विवाहिता से मारपीट करने, उसके परिवार के सदस्यों की पिटाई करने और गैंगरेप करने का केस दर्ज किया गया था। महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उसे भाजपा के पक्ष में वोट देने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। जाने से पहले उन्होंने घरेलू सामान भी तोड़-फोड़ दिया। हालांकि बाद में महिला ने अपने आरोप वापस ले लिए। पुलिस ने योगेश प्रताप और उनके बेटे समेत परिवार के अन्य सदस्यों के नाम मामले से हटा दिए। सैयदा खातून, डुमरियागंज विधायक: मार्च, 2022 में सैयदा खातून के साथ 200 अज्ञात पार्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने दावा किया था कि सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज में सपा कार्यालय में विधानसभा चुनाव में उनकी जीत का जश्न मनाते समय उनके समर्थकों ने आपत्तिजनक नारे लगाए थे। सैयदा खातून के मुताबिक, उनके या अन्य के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने पर मामला बंद कर दिया गया था। शाहिद मंजूर, विधायक किठौर: किठौर से विधायक शाहिद मंजूर के खिलाफ भी एक मुकदमा लखनऊ में दर्ज है। एक बिल्डिंग ढह जाने के बाद शाहिद मंजूर और उनके बेटे नवाजिश के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। राकेश प्रताप सिंह, गौरीगंज विधायक: राकेश प्रताप और उनके समर्थकों पर मई, 2023 में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव से एक दिन पहले मामला दर्ज किया गया था। उन पर नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए भाजपा उम्मीदवार रश्मि सिंह के पति दीपक सिंह पर अमेठी के गौरीगंज थाने के अंदर हमला करने का आरोप था। जाहिद बेग, भदोही सदर विधायक: पिछले महीने भदोही विधायक के घर में एक 17 साल की लड़की के फंदे से लटका मिलने के बाद जाहिद बेग और उनकी पत्नी पर मामला दर्ज किया गया था। दोनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने और बाल तस्करी का आरोप है। पुलिस ने बाद में उनके बेटे जैम के खिलाफ भी मामला दर्ज किया, जो अब बेग के साथ जेल में है। विधायक की पत्नी लापता बताई जा रही हैं। इसके बाद बेग के खिलाफ एक और केस दर्ज किया गया। जिसमें उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास करने वाले एक सब-इंस्पेक्टर पर कथित तौर पर हमला करने का आरोप है। दीप नारायण सिंह उर्फ ​​दीपक यादव, पूर्व विधायक गरौठा: दीप नारायण, फरवरी-मार्च 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी से हार गए थे। उनको उसी साल सितंबर में एक अपराधी को पुलिस हिरासत से छुड़ाने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इरफान सोलंकी, पूर्व विधायक सीसामऊ: 2022 के विधानसभा चुनाव में इरफान सोलंकी ने कानपुर की सीसामऊ से चौथी बार जीत हासिल की थी। ​​इस साल जून में एक स्थानीय अदालत ने उन्हें, उनके छोटे भाई रिजवान और तीन अन्य को 7 साल की सजा सुनाई। इसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई। उन पर कानपुर के जाजमऊ इलाके में एक महिला को परेशान करने और उसकी जमीन हड़पने के प्रयास में उसके घर में आग लगाने का दोष सिद्ध हुआ है। अता-उर रहमान, विधायक बहेरी : बरेली के बहेरी से विधानसभा चुनाव जीतने के कुछ दिनों बाद भाजपा नेता छत्रपाल गंगवार और उनके भतीजे के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। जिया-उर रहमान बर्क, संभल सांसद: बर्क के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया। उन पर अप्रैल, 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने और गैंगस्टर से नेता बने मोहम्मद शहाबुद्दीन, मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद की हत्याओं को बलिदान करार देने का आरोप है। अफजाल अंसारी, गाजीपुर सांसद: अफजाल अंसारी पर पिछले हफ्ते गांजा (भांग) को वैध बनाने की वकालत करने के लिए मामला दर्ज किया गया था। दिवंगत मुख्तार अंसारी के भाई अंसारी ने कहा था कि लाखों लोग खुलेआम गांजा का सेवन करते हैं, जिसका इस्तेमाल अक्सर बड़े धार्मिक समारोहों में भी किया जाता है। इसे पवित्र जड़ी बूटी माना जाता है। महबूब अली, विधायक अमरोहा: महबूब अली के खिलाफ हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कथित रूप से भड़काऊ और विवादास्पद टिप्पणी के लिए मामला दर्ज किया गया था। मुकदमों के दबाव में बदल लिया पाला
समाजवादी पार्टी के दो विधायक अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह अब भाजपा के साथ हैं। दोनों के खिलाफ भाजपा शासनकाल में मुकदमे दर्ज हुए थे। इस साल की शुरुआत में राज्यसभा के चुनाव में इन दोनों विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, जिससे भाजपा उम्मीदवार को जीत हासिल करने में मदद मिली। माना जाता है, भाजपा के पक्ष में खड़े होने के कारण इन विधायकों पर कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, सपा ने भी अब तक इन दोनों नेताओं को न तो पार्टी से निकाला है और न ही उनके खिलाफ कोई शिकायत स्पीकर से की है। समाजवादी पार्टी भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी
2022 के विधानसभा और हालिया लोकसभा चुनावों के बाद सपा यूपी में सत्तारूढ़ भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी है। 2012 से 2017 तक सत्ता में रहने वाली सपा के 2017 में 47 विधायक थे, जो 2022 में 111 हो गए। लोकसभा चुनाव में भी सपा 2019 में 5 के मुकाबले 37 सीटों तक पहुंच गई। सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं। जबकि भाजपा को 33 और उसके साथ लड़ने वाली पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को 2 और अपना दल को एक सीट मिली थीं। एक सीट आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ने जीती थी। चंद्रशेखर का किसी पार्टी से समझौता नहीं हुआ था। ये खबर भी पढ़ें… पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी, UP में अलर्ट, यति नरसिंहानंद के मंदिर के बाहर प्रोटेस्ट, पुलिस ने फ्लैग मार्च निकाला पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि के खिलाफ प्रदर्शन हुए। मुस्लिम तंजीमें उनकी गिरफ्तारी की मांग पर अड़ गई थीं। पढ़ें पूरी खबर

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