महानगर से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर करीब 25 हजार की आबादी का शेखपुरा कदीम गांव राजनीति का शिकार है। जिले का सबसे बड़ी आबादी वाला मुस्लिम बाहुल्य गांव है। इस गांव को महानगर में शामिल होने नहीं दिया जाता, राजनीतिक कारणों से। लेकिन इस गांव एक इतिहास भी रहा है, यहां कभी इस प्रकार से दंगाई सड़कों पर नहीं उतरे। जैसा 6 अक्टूबर को हुआ। भाकियू (बेदी) के राष्ट्रीय महासचिव और सुभासपा के प्रदेश उपाध्यक्ष कारी नौशाद ने जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद के पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान के विरोध में ज्ञापन सौपने का कार्यक्रम घोषित किया था। सब कुछ ठीक चल रहा था कि शेखपुरा कदीम गांव के लोग शांत स्वभाव में चौकी पर पहुंचे। लेकिन इस भीड़ का अंदाजा खुद कारी नौशाद को भी नहीं था। बहरहाल, सब कुछ शांत तरीके से हुआ। थाना देहात कोतवाली प्रभारी चंद्रसैन सैनी को ज्ञापन सौपकर भीड़ चली गई। लेकिन भीड़ में कहीं बाहर से कुछ अराजक तत्व घुस गए। कम उम्र के करीब 70 से 80 युवकों ने पथराव शुरू किया। जिसका अंदाजा खुद पुलिस प्रशासन को भी नहीं था। कुछ ही पुलिसकर्मी चौकी पर थे। पुलिस ने दंगईयों की संख्या कम देखते हुए उन्हें खदेड़ने का प्रयास किया। डंडा भी फटकारा। लेकिन कम उम्र के युवक उग्र हो गए। उन्होंने फिर पथराव करना शुरू कर दिया। इन युवकों ने जो भी हाथ में मिला पुलिस और चौकी ओर फेंकना शुरू कर दिया। पुलिस को अपनी जान भागकर बचानी पड़ी। दंगई युवक पथराव करते हुए चौकी ओर आने लगे और पुलिस पीछे। पुलिस का बैकअप जब तक आया, तब तक दंगइयों ने पुलिस के पसीने छुड़ा दिए थे। पुलिस बैगअप के लिए चिल्लाती रही, लेकिन उन्हें मदद नहीं मिली। हालांकि बैकअप आने के बाद पुलिस ने सभी दंगइयों को फटकारते हुए भगा दिया। गांव में भी सन्नाटा पसर गया। पुलिस फोर्स तैनात हुई। रातभर पुलिस भी मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में गश्त करती हुई दिखाई दी। ये है पूरा घटनाक्रम
10 बजे पुलिस गांव में ज्ञापन लेने के लिए पहुंची। 11 बजकर 10 मिनट पर ज्ञापन देने के लिए गांव में भीड़ इकट्ठा हो गई। 11 बजकर 50 मिनट पर थाना प्रभारी को भीड़ ने ज्ञापन सौंप दिया था। 12 बजकर 10 मिनट पर भीड़ अपने-अपने घरों की ओर लौट गई। 12 बजकर 15 मिनट पर पुलिस भी गांव से चौकी की ओर आ गई। 12 बजकर 30 मिनट पर युवाओं की भीड़ इकट्ठा हुई और पुलिस चौकी की ओर बढ़ने लगी। 12 बजकर 45 मिनट पर पुलिस ने युवाओं की भीड़ को समझाने का प्रयास किया। 12 बजकर 50 मिनट पर भीड़ के तेवर देखर पुलिस ने डंडा फटकार दिया, तभी पथराव शुरू हो गया। 1 बजकर 20 मिनट से लेकर एक बजकर 35 मिनट तक दंगई पथराव करते रहे और पुलिस बचती रही। 5 बजे तक 13 उपद्रवियों को हिरासत में लिया। 2022 में शेखपुरा के लोगों ने दंगईयों की साजिश की थी विफल
2022 में भाजपा नेता नूपुर शर्मा के बयान के बाद 17 जिलों को हाई अलर्ट किया गया था। जिसमें सहारनपुर के साथ कानपुर, उन्नाव, वाराणसी, रामपुर, फैजाबाद, लखनऊ, आगरा, बरेली, मथुरा, मेरठ, बिजनौर, बुलंदशहर, अलीगढ़, गोंडा, प्रयागराज और मुरादाबाद की पुलिस गश्त कर रही थी। लेकिन 10 जून की दोपहर कुछ शहरों में हिंसा ऐसी भड़की कि पुलिस प्रशासन को संभालना मुश्किल हो गया था। हालांकि, बाद में आरोपियों को चिह्नित करके गिरफ्तार भी किया गया। आरोपियों के मकानों पर बुलडोजर भी चलाया गया। लेकिन सहारनपुर में 10 जून की दोपहर 2.10 बजे उपद्रव शुरू हुआ था। इससे पहले शेखपुरा में सबसे पहले पोस्टर चस्पा हुए थे। कुछ तस्वीरों के सहारे पुलिस इन पोस्टर को लगाने वाले लड़कों तक पहुंच गई। खाताखेड़ी के रहने वाले सलमान और वसीम ने नूपुर शर्मा के पोस्टर छपवाएं थे। इन दोनों ने शेखपुरा कदीम में अपने तीन दोस्त शादाब, शाहिब व बिलाल को ये पोस्टर देकर बाजारों में चिपकवाए। शेखपुरा की दीवारों पर चिपके इन पोस्टरों को पुलिस ने जल्दी हटवाया था। बयानवीरों के लिए आतंकी टास्क
सहारनपुर से जैश-ए-मोहम्मद (JEM) और तहरीक-ए-तालिबान, पाकिस्तान (TTP) से जुड़े संदिग्ध आतंकी मोहम्मद नदीम को गिरफ्तार किया गया था। यूपी ATS को आतंकी नदीम ने बताया था कि “उसे जैश की ओर से बीजेपी से निलंबित नूपुर शर्मा की हत्या का टास्क दिया गया था।”
गांव कुंडाकलां, थाना गंगोह सहारनपुर में एक युवक जेईएम और टीटीपी की विचारधारा से प्रभावित होकर फिदायीन हमले की तैयारी कर रहा था। जिसके बाद युवक को पकड़ा गया। पूछताछ के बाद उसके मोबाइल को जब्त कर लिया गया है। 8 अगस्त को ATS ने नदीम और उसके भाई तैमूर को पकड़कर ले गई थी। जांच पड़ताल में पता चला है कि आतंकी की पाकिस्तान में दो बुआ है। ये रिश्तेदारी की आड़ में ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान जाना चाहता था।
