कर्नाटक सरकार ने सोमवार को अनुसूचित जाति (SC) कोटे (रिजर्वेशन) के अंदर कोटा देने की मंजूरी दे दी। अब राज्य में SC समुदाय को मिलने वाले रिजर्वेशन के अंदर कुछ उप-जातियों को रिजर्वेशन दिया जाएगा। इसके लिए एक आयोग बनाने का फैसला भी लिया गया है। SC जातियों के भीतर से ही इसकी मांग आ रही थी। जातियों का एक वर्ग आरोप लगाता है कि कुछ रसूखदार उप-जातियों को ही रिजर्वेशन का फायदा मिलता है। कई उप-जातियों तक रिजर्वेशन का फायदा पहुंचा ही नहीं। इस वजह से वे आज भी हाशिए पर हैं। राज्य के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने बताया कि कैबिनेट ने SC कोटे के अंदर कोटा देने का फैसला किया है। सरकार आयोग से तीन महीने में रिपोर्ट देने को कहेगी। रिपोर्ट पेश होने तक कम से कम तीन महीने के लिए सभी नौकरी भर्तियां रोकने का फैसला भी हुआ है। भाजपा सरकार ने भी मंजूरी दी थी, केंद्र को प्रस्ताव भी भेजा था
पिछली भाजपा सरकार ने भी कोटे के अंदर कोटा देना तय किया था। इसके लिए केंद्र सरकार से SC (लेफ्ट) के लिए 6%, SC (राइट) के लिए 5.5%, अछूत (बंजारा, भोवी, कोरचा, कुरुमा आदि) के लिए 4.5 % और अन्य के लिए 1% रिजर्वेशन तय करने की सिफारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 1 अगस्त को अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि राज्यों को SC जातियों के भीतर सब-क्लासिफेकन करने का संवैधानिक अधिकार है। ताकि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से ज्यादा पिछड़ी जातियों को रिजर्वेशन दिया जा सके। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से फैसला दिया था। कोर्ट ने 2004 के ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश मामले में सुर्पीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ का फैसला खारिज कर दिया था।