गया में 27 सितंबर को एक युवक की सड़क हादसे में मौत हुई थी, लेकिन शव परिजनों को पुलिस ने नहीं सौंपा। पोस्टमॉर्टम के बाद लाश कहां गई, इस बात से पुलिस अनजान है। पुलिस का कहना है कि अंतिम संस्कार के लिए चौकीदार के हवाले लाश को सौंपा गया था। मृतक के पिता के अनुसार हादसे के बाद पुलिस ने मौके से स्कूटी और एक मोबाइल बरामद किया। इसके जरिए पुलिस परिजनों का पता लगा सकती थी, पर ऐसा नहीं हुआ। दूसरी तरफ मृतक के पिता 27 सितंबर से 7 अक्टूबर तक अपने बेटे को खोजते रहे। किसी परिजन ने थाने में स्कूटी पड़ी हुई देखी तो पता चला कि स्कूटी वाले की मौत हो गई। 8 अक्टूबर को मृतक के पिता को पता चला कि बेटे की मौत हो गई। पीड़ित पिता ने मांग की है कि पुलिस मेरे बेटे की डेड बॉडी दे दे, ताकि एक बार उसका चेहरा देख सके। उसका अपने धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार कर सकें। मामला परैया थाने का है। पिता की स्कूटी लेकर निकला था शहाबुद्दीन मृतक की पहचान करीमगंज मुहल्ला निवासी गुलाम हैदर (65) के बेटे शहाबुद्दीन (31) के रूप में हुई है। गुलाम हैदर ने कहा कि 27 सितंबर को मेरा बेटा मेरी स्कूटी लेकर निकला था। जिसके बाद वो लौटकर नहीं आया। 28 को मैंने अपने परिजनों से बात की कि आपके यहां मेरा बेटा आया, पर उन्होंने ना कह दिया। बेटे के दोस्तों से भी बात की फिर भी उसका पता नहीं चला। मैंने अपने परिजन से फिर संपर्क किया। रिश्तेदार ने कहा कि इलाके में घूम कर देखता हुूं। वो थाने गए तो उन्होंने मेरी स्कूटी देखी। मेरे रिश्तेदार ने पुलिस से पूछताछ की तो बताया गया कि 27 को ही मौत हुई थी। जिसके बाद मेरे रिश्तेदार ने मुझे सूचना दी। 8 अक्टूबर को मुझे पता चला कि मेरे बेटे की मौत हो गई। लाश दफनाई होती तो कब्रिस्तान में रिकॉर्ड होता मृतक पिता ने कहा कि कुछ लोगों से पता चला कि पुलिस ने एंबुलेंस की जगह ऑटो से मेरे बेटे को अस्पताल भेजा था। अगर एंबुलेंस से भेजते तो शायद उसकी जान बच सकती थी। गुलाम हैदर ने कहा कि मेरे बेटे की डेड बॉडी यदि दफनाई गई होती तो जिले के किसी भी कब्रिस्तान में उसका रिकॉर्ड होता पर ऐसा नहीं है। आखिर बेटे की डेड बॉडी के साथ पुलिस ने क्या किया समझ से परे हो गया है। मृतके पिता आज मामले की शिकायत करने एसएसपी के आवास पर गए थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। चौकीदार ही बता सकता लाश का क्या किया थानाध्यक्ष मुकेश कुमार का कहना है कि डेड बॉडी कई दिनों तक लावारिस पड़ी थी। शिनाख्त नहीं होने की स्थिति में उसका अंतिम संस्कार किया गया है। बॉडी की जिम्मेदारी थाने के चौकीदार को दे दी गई थी। वही बता सकता है कि डेड बॉडी का क्या किया गया।