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बिहार में न्यायिक कर्मचारियों का हड़ताल:वेतन विसंगति समेत 4 मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना, 1991 से चल रहा संघर्ष

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अररिया व्यवहार न्यायालय के न्यायिक कर्मचारी बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। बिहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर शुरू हुई यह हड़ताल बिहार सरकार के 20 दिसंबर 2024 को जारी आदेश संख्या 8164 के विरोध में की जा रही है। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में वेतन विसंगति को दूर करना, तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों की तत्काल प्रोन्नति, अनुकंपा आधारित नियुक्तियों को शत-प्रतिशत लागू करना और विशेष न्यायिक कैडर कानून लागू करना शामिल है। हड़ताल में महिला और पुरुष कर्मचारी दोनों शामिल हैं। धरना स्थल पर मौजूद कर्मचारी रवि कुमार ने बताया कि उनका संघर्ष 1991 से जारी है। 1990 में पटना उच्च न्यायालय ने स्नातक स्तरीय वेतनमान की अनुशंसा की थी, जिसे 1994 में बिहार सरकार ने खारिज कर दिया। इसके विरोध में कर्मचारियों ने पटना हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की, जिस पर न्यायाधीश ए.के. गांगुली ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया, लेकिन सरकार ने इसे लागू नहीं किया। कर्मचारियों का कहना है कि उनकी नियुक्ति स्नातक स्तर पर हुई है, लेकिन उन्हें तदनुरूप वेतनमान नहीं मिल रहा। अन्य सरकारी कार्यालयों की तुलना में उनका कार्यभार अधिक है और छुट्टी के दिनों में भी काम करना पड़ता है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे न्यायिक कार्यों से दूर रहेंगे।

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