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शिक्षक संघ ने ट्रांसफर-पोस्टिंग पॉलिसी पर जताई आपत्ति:कहा- हर 5 साल में जबरन ट्रांसफर क्यों, यह समझ में नहीं आ रहा है

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बिहार के सरकारी स्कूलों में कार्यरत लाखों शिक्षकों के तबादले का इंतजार खत्म हो गया है। सरकार ने शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए नई पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। इस पॉलिसी के तहत अब BPSC, पुराने शिक्षक और सक्षमता पास शिक्षकों को अपने जिले में रहने का मौका मिलेगा। शिक्षकों का इसी साल ट्रांसफर किया जाएगा। वहीं, नई पॉलिसी जारी होने के बाद शिक्षक संघ अपना विरोध जताया है। संघ की ओर से कई बिंदुओं पर आपत्तियां जताई गई है। 1. ट्रांसफर नियमावली के अनुसार पुरुषों का गृह अनुमंडल में पोस्टिंग नहीं मिलेगी। कई जिलों में एक ही अनुमंडल है, वहां क्या होगा? यह बाध्यता पुरुष शिक्षकों के साथ ही क्यों? शिक्षिकाओं के लिए गृह पंचायत में पोस्टिंग नहीं होने की बाध्यता है। वही नियम पुरुषों के लिए भी होना चाहिए। 2. किसी भी शिक्षिका की पोस्टिंग उसके गृह नगर निकाय या वर्तमान नगर निकाय में भी नहीं होगी। यह शहरी क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं पर बहुत बड़ा जुल्म है। शहरी क्षेत्र की महिलाओं की पोस्टिंग सुदूर गांव में क्यों? अपने गृह नगर निकाय में उनकी पोस्टिंग से आखिर दिक्कत क्या है? 3. असाध्य रोगों से ग्रसित एवं दिव्यांग शिक्षकों को भी अपने गृह पंचायत या नगर निकाय में पोस्टिंग नहीं मिलेगी। ये कैसा नियम है? इन दोनों समूह वर्गों के शिक्षकों को तो अपने घर के सबसे नजदीक विद्यालय में पोस्टिंग मिलनी चाहिए। चाहे वो उनका गृह पंचायत हो या नगर निकाय। 4. इस नियमावली में सबसे खराब प्रावधान है, हर 5 साल में जबरन ट्रांसफर। यह समझ में नहीं आ रहा है। आज तक पूरे इतिहास में कभी शिक्षकों के लिए जबरन ट्रांसफर का प्रावधान नहीं रहा है। फिर इस बार ऐसा क्यों? क्या हर 5 साल में सरकार ट्रांसफर के माध्यम से अवैध कमाई करना चाहती है? 5. इस नियमावली से सबसे ज्यादा फायदा यूपी और झारखंड के शिक्षकों को है। उन पर गृह नगर निकाय या अनुमंडल वाला नियम लागू ही नहीं होगा। उन्हें आराम से शहरी क्षेत्रों में पोस्टिंग मिल जाएगी। बिहार की महिलाएं गांवों में और बाहर की महिलाएं शहरों में, ऐसा क्यों? ये दोहरी नीति क्यों- शिक्षक संघ संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम का कहना है कि सरकार ने शिक्षक संघों से बिना सुझाव लिए नई पॉलिसि बना दी है। इसमें व्यापक अनियमितताएं और भेदभावपूर्ण प्रावधान हैं। उक्त नीति पर अभी भी शिक्षक संघ के साथ बैठक करने की जरूरत है। ताकि आवश्यक बदलाव किए जा सकें। ऐसी स्थिति में मामला हाई कोर्ट तक जाएगा। ट्रांसफर पॉलिसी लागू नहीं हो पाएगी। ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति के मुख्य बिंदु गंभीर रोग, मानसिक समस्या से ग्रसित शिक्षकों को तरजीह दी जाएगी। सिंगल महिला, विडो को भी प्राथमिकता दी जाएगी। पुरुष शिक्षकों को उनके गृह अनुमंडल में पोस्टिंग नहीं मिलेगी। हर 5 साल में शिक्षकों की अनिवार्य ट्रांसफर होगी। वेतनमान शिक्षक उसके बाद सक्षमता उत्तीर्ण टीचर और अंत में TRE शिक्षक वरीय होंगे। ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए 10 ऑप्शन लिए जाएंगे। ट्रांसफर-पोस्टिंग सॉफ्टवेयर आधारित एप्लीकेशन से होगा। नियोजित शिक्षकों को छोड़कर सभी का ट्रांसफर-पोस्टिंग एक ही चरण में होगा। नियमित और BPSC शिक्षक आवेदन नहीं देने के बाद भी अपने मूल विद्यालय में ही बने रह सकते हैं। स्थानांतरण के आवेदन पत्र ई-शिक्षाकोष के माध्यम से ऑनलाइन लिए जाएंगे।

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