मधेपुरा में स्वास्थ्य समिति के प्रबंधक (40) पर नर्स ने सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया है। दैनिक भास्कर से बातचीत में गुरुवार को पीड़िता ने बताया कि जिला स्वास्थ्य समिति के प्रबंधक पिछले 4 साल से मैसेज कॉल कर शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डालते थे। मैं इसे इग्नोर करती थी, लेकिन फिर भी वह अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहा था। कहता था कि एक बार मेरी नजर जिसपर पड़ गई वो मुझे चाहिए ही चाहिए। पूरा मामला सदर अस्पताल की नर्स से जुड़ा है। नर्स ने 19 सितंबर को आवेदन दिया था। जिसको जांच के लिए अस्पताल के आंतरिक कमेटी के पास भेज दिया गया है। इस मामले पर सिविल सर्जन डॉ. मिथिलेश ठाकुर ने बताया कि मामले की जांच चल रही है। अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को है। जांच रिपोर्ट आने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। आगे पीड़िता ने बताया कि वह मेरे ऑफिस में आकर मुझे परेशान करते थे और अपने ऑफिस में भी कागजात के नाम पर बुलाते थे। घर जाने के बाद भी जबरदस्ती मैसेज, कॉल करते रहते थे। उनको पेट में दर्द होता था तो मुझे कॉल करते थे। नर्स ने कहा कि इस तरह से लगातार उन पर दबाव बना रहे थे। जब मैं उनकी बातों को नहीं सुनी तो वह अस्पताल के ही स्टाफ को मेरे खिलाफ भड़का दिया। जीएनएम और एक युवक ने मेरे रूम पर जाकर मेरे साथ गाली-गलौज की। मैंने 4 साल से उनकी इज्जत को बचा कर रखा। क्योंकि वह हमेशा धमकी देते थे कि सस्पेंड कर देंगे। उन्होंने कहा कि मैं विधवा हूं और सस्पेंड होने के बाद मेरे बच्चे को कौन देखेगा। इस कारण से मैं डर जाती थी। वह जब बहुत परेशान करने लगे तो मैंने डीएम और सीएस को आवेदन दिया। अभी तक मुझे कोई न्याय नहीं मिला है। मुझे लग रहा है कि इस बात को दबाने की साजिश रची जा रही है। अब तो मुझे ऑफिस आने में भी डर लगता है कि कहीं मेरे साथ कोई अप्रिय घटना नहीं कर दें। वहीं, जिला स्वास्थ्य समिति के प्रबंधक ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि आरोप झूठा और बेबुनियाद है।
