बालाघाट में 12 अक्टूबर शनिवार को पूरे जिले सहित मुख्यालय में दशहरा मनाया जाएगा। मुख्यालय में मनाए जाने वाले दशहरा पर्व में खास आकर्षण, भगवान हनुमान स्वरूप को धारण करने वाले महाराज होते है, जो सिर पर 40 किलो वजनी हनुमान स्वरूप मुकुट को धारण करते हैं। जिले में पानीपत की तर्ज पर साल 1961 में इसकी शुरुआत हुई थी। तब बालाघाट में पानीपत से आए पंजाबी परिवार ने इसे शुरू किया था। मुकुट धारण करना अब एक परंपरा बन गई है। जिसके लिए कई युवा साधक प्रतिक्षा करते हैं। खास बात यह है कि हनुमान स्वरूप धारण करने वाले साधक को 40 दिन का कठोर तप करना पड़ता है। इस दौरान साधक को मंदिर में ही रहकर ब्रम्हचर्य का पालन करना पड़ता है। दशहरा पर निकलेगी शोभायात्रा युवा वानर सेना के अमन गांधी ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी दशहरा पर भव्य चल समारोह शाम 4 बजे नगर के नए श्रीराम मंदिर से भगवान श्रीराम की शोभायात्रा और हनुमान स्वरूप महाराज जी के साथ निकाला जाएगा। इस साल युवा साधक संदीप नेवारे 40 किलो वजनी मुकुट धारण कर अपनी वानर सेना के साथ भगवान श्रीराम की शोभायात्रा की अगुवाई करेंगे। शोभायात्रा नए श्रीराम मंदिर से प्रारंभ होकर शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए रावण दहन स्थल पहुंचेगी। जहां रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के प्रतीक स्वरूप पुतले का दहन होगा। दशहरा चल समारोह और रावण दहन को देखते हुए जिला और पुलिस प्रशासन ने व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हैं। रावण दहन स्थल के आसपास पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। दशहरा चल समारोह में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद होंगे।
