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भोपाल में भिक्षावृत्ति पर रोक, सिग्नल-चौराहों पर जांच करेगी टीमें:आदेश के बाद कम दिखें भिक्षुक; लोग भी पैसे की जगह बांट रहे खाना

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भोपाल में भिक्षावृत्ति पर रोक लग गई है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने सोमवार रात में आदेश जारी कर दिए। इसके बाद भीख देना और लेना दोनों ही जुर्म के दायरे में आ गए हैं। मंगलवार को कलेक्टर ने 4 सदस्यीय कमेटी भी बना दी है, जो भिक्षुकों को रैन बसेरा तक ले जाएगी। इधर, राजधानी के चौराहों के सिग्नल और मुख्य मार्गों पर मंगलवार को भिक्षुओं की संख्या काफी कम दिखी। दैनिक भास्कर ने जब पड़ताल की तो ज्योति टॉकीज चौराहा, बड़ा तालाब के पास और व्यापम चौराहे पर भिक्षु नहीं दिखें, जबकि 6 नंबर हॉकर्स, रोशनपुरा चौराहा, न्यू मार्केट, एमपी नगर और सुल्तानिया रोड चौराहा पर भिक्षुक भिक्षावृत्ति करते हुए नजर आए। इस दौरान लोग भी कलेक्टर के आदेश के चलते जागरूक नजर आए। लोग पैसे देने की जगह खाने- पीने की चीजें देते दिखें। कलेक्टर ने बनाई यह टीम भिक्षुओं के लिए कोलार स्थित रैन बसेरा में अस्थायी भिक्षु गृह बनाया गया है। यहां पर उन्हें शिफ्ट करने की जिम्मेदारी एक टीम को दी गई है। इस टीम में संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय विभाग आरके सिंह, नगर निगम के अपर आयुक्त रणवीर कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग सुनील सोलंकी और आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त सुधीर कुमार श्रीवास्तव शामिल हैं। भिक्षुक बोला- कलेक्टर के आदेश की जानकारी नहीं इस दौरान न्यू मार्केट में एक भिक्षु से बातचीत में पता चला कि वह उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिला का रहने वाला है। उसका परिवार ललितपुर के पास एक गांव में बांस छीलकर सामान बनाने का काम करता है। वह 10-15 दिन पहले ट्रेन से भोपाल आया था। इसके बाद से ही वह न्यू मार्केट के आस- पास भीख मांग रहा है। इस दौरान उसने यह भी बताया कि उसे कलेक्टर के आदेश की कोई जानकारी नहीं है। वह आज दिन में 1 बजे न्यू मार्केट की तरफ आया था। तब से उसे 1-2 लोगों ने ही पैसे दिए है। उसने यह भी बताया कि अभी तक उसने इलाके के आस-पास पुलिस नहीं देखी है। सुल्तानिया रोड चौराहे पर बड़ी संख्या में भिक्षु दिखे इस दौरान सुल्तानिया रोड चौराहे पर कालिका मंदिर के बाहर बड़ी संख्या में भिक्षुक दिखे। हालांकि यह भिक्षु पहले की तरह सिग्नल पर भीख मांगते नजर नहीं आए। वहीं, 6 नंबर हॉकर्स में भी भिक्षुक छोटे बच्चों को लोग पैसे देने की जगह खाने का सामान दिलवा रहे थे।

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