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सेहतनामा- 69% भारतीय पर्याप्त फाइबर नहीं खाते:जानिए फाइबर न खाने के खतरे, खाने के फायदे, फल-सब्जियों, मोटे अनाज में है भरपूर

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इंडियन डाइटेटिक एसोसिएशन की एक स्टडी के मुताबिक भारत में हर 10 में से 7 व्यक्ति पाचन संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर लोग कब्ज, डायरिया और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी मुश्किलों से परेशान हैं। इसके पीछे की एक बड़ी वजह है- भोजन में पर्याप्त मात्रा में फाइबर का न होना। प्रोटीन फूड्स एंड न्यूट्रिशन डेवलपमेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (PFNDAI) की एक स्टडी के मुताबिक भारत में लगभग 69% लोग डेली डाइट में जरूरत से कम फाइबर का सेवन कर रहे हैं। इसके कारण उनका गट माइक्रोबायोम प्रभावित होता है। नतीजतन पाचन संबंधी समस्याएं और बीमारियां। अमेरिकन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक अगर कोई शख्स दिन भर में 2000 कैलोरी का सेवन कर रहा है तो अच्छे स्वास्थ्य के लिए इसमें कम-से-कम 28 ग्राम फाइबर होना जरूरी है। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे फाइबर की। साथ ही जानेंगे कि- भोजन में पर्याप्त फाइबर होना क्यों जरूरी है? हमें स्वस्थ रहने के लिए संतुलित भोजन की जरूरत होती है। इसमें कार्ब्स, प्रोटीन, फाइबर और फैट सबकुछ होना चाहिए। बीते कुछ सालों में लोग प्रोटीन के सेवन को लेकर जागरुक हुए हैं, लेकिन उनकी खाने की थाली में अभी भी पर्याप्त फाइबर नहीं है। आपने बड़े-बूढ़ों को कहते सुना होगा कि सारी बीमारियों की जड़ हमारा पेट है, ये ठीक तो सब ठीक। उनका कहना बिल्कुल सही है। जाने-माने जर्नल ‘नेचर’ में सितंबर, 2021 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, गट माइक्रोब्स का इम्यून सिस्टम से सीधा कनेक्शन है। इनका बैलेंस बिगड़ने से हमारा इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है, जिससे कई बीमारियां घेर सकती हैं। हमें रोज कितना फाइबर खाना चाहिए? अगर हमें अपने गट माइक्रोब्स को खुश रखना है और सेहत दुरुस्त रखनी है तो फाइबर खाना ही होगा। रोज कितना फाइबर खाना चाहिए, इस बारे में दुनिया भर के डाइटेटिक एसोसिएशन की राय अलग-अलग है, लेकिन ज्यादातर एसोसिएशन रोजाना 25 से 35 ग्राम फाइबर खाने की सलाह देते हैं। 2000 कैलोरी की डेली डाइट में 28 ग्राम फाइबर खाना चाहिए। अगर कोई इससे अधिक कैलोरी ले रहा है तो फाइबर की मात्रा भी बढ़ानी होगी। हार्ट डिजीज और कैंसर को रोकता है फाइबर हमें अपने भोजन में प्रोटीन, कार्ब्स और फैट के साथ फाइबर की मौजूदगी का भी ख्याल रखना चाहिए। यह हमारे इम्यून सिस्टम का सबसे अच्छा दोस्त और गुड गट माइक्रोब्स का प्रिय भोजन है। फाइबर के सेवन से आंतों की सेहत अच्छी बनी रहती है। इसकी मदद से खाना आंतों में बिना चिपके आसानी से मूव होता है। इससे पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है। आंतों में किसी तरह के इंफ्लेमेशन की समस्या नहीं होती है। सबसे बड़ी बात ये है कि इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल में रहता है और हार्ट की हेल्थ अच्छी बनी रहती है। ब्लड शुगर लेवल भी संतुलित रहता है। इससे और क्या फायदे होते हैं, नीचे ग्राफिक में देखिए। शरीर में फाइबर की कमी होने पर क्या होता है? भोजन में पर्याप्त फाइबर नहीं होने से माइक्रोबायोम का संतुलन बिगड़ने लगता है। गुड गट माइक्रोब्स की संख्या कम हो जाती है और बैड माइक्रोब्स बढ़ जाते हैं। इससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और कई बीमारियां घेर लेती हैं। फाइबर की कमी से कब्ज की समस्या बढ़ जाती है, पेट साफ नहीं होता है। गुड गट बैक्टीरिया को उनका भोजन नहीं मिलता। ऐसे में वे आंतों की बाहरी म्यूकस लेयर को खाने लगते हैं। इससे इंफ्लेमेशन होता है, जो कई तरह के इंफेक्शन और पेट से जुड़ी बीमारियों की वजह बन सकता है। भोजन में लंबे समय तक फाइबर की मात्रा कम रहने से कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है और हार्ट डिजीज का जोखिम हो सकता है। किन चीजों में होता है ढेर सारा फाइबर भोजन में फाइबर की पर्याप्त मात्रा के लिए मेडिटेरेनियन डाइट फॉलो कर सकते हैं। इसमें पिज्जा, बर्गर जैसे जंकफूड खाने की सख्त मनाही होती है। मेडिटेरेनियन डाइट में हमें अपने भोजन में पेड़-पौधों से मिली चीजें शामिल करनी होती हैं। प्रकृति इस बात का हमेशा ख्याल रखती है कि जो भी खाने की चीज है, उसमें पर्याप्त फाइबर भी रहे। इससे पाचन में मदद मिले और गट माइक्रोबायोम हेल्दी बना रहे। इसलिए हमारे खाने की थाली में पर्याप्त फाइबर के लिए इसमें फल-सब्जियों से बना सलाद होना आवश्यक है। केला, गाजर, शलजम, टमाटर, शकरकंद और ब्रोकली में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है। ज्यादातर फल और सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में फाइबर मौजूद होता है। अगर ये चीजें हमारे भोजन की थाली में शामिल हैं तो अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं है। हालांकि फाइबर रिच फूड्स की एक लिस्ट है। अगर आपको लगता है कि रोजाना खूब सारे फल और सब्जियां खाना मुश्किल हो रहा है तो इन्हें अपनी डाइट में शामिल करके पर्याप्त मात्रा में फाइबर प्राप्त कर सकते हैं। ……………………
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