राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर का लोक कल्याणकारी राज्य का दर्शन आज भी प्रासंगिक है। हम उनसे प्रेरणा ले सकते हैं। लोकमाता ने अपना संपूर्ण जीवन सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए न्योछावर कर दिया। उन्होंने अपने शासनकाल में उन जीवन मूल्यों की पुनस्र्थापना की जो विदेशी आक्रमण के दौरान समाप्त प्राय हो गये थे। लोकमाता की जीवन यात्रा ‘राजश्री से राजर्षि’ तक की थी। वह लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जन्म त्रिशताब्दी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। समारोह का आयोजन मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी, तेलियरगंज के एमपी सभागार में रविवार को किया गया। प्रयागराज से अहिल्याबाई का विशेष लगाव: सिद्धार्थ दवे समारोह में शताब्दी समारोह समिति की राष्ट्रीय सचिव विशिष्ट अतिथि कैप्टन मीरा सिद्धार्थ दवे ने कहा कि प्रयागराज से उन्हें विशेष लगाव है। यहीं वह सेना में अधिकारी बनीं। उन्होंने कहा कि महान विदुषी गार्गी, मैत्रेयी और लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन दर्शन को समझने की जरूरत है। वे सभी संपूर्ण लीडर थीं। लोकमाता ने धर्म को पुनस्र्थापित किया। एक शासिका के रूप में वे विवेकपूर्ण ढ़ंग से रणनीति बनाती थीं। उन्होंने अपने शासनकाल में महिलाओं को शास्त्र के साथ ही शस्त्र का भी ज्ञान दिया। उन्होंने व्यक्तिगत जीवन में तमाम दुख झेले परंतु हिम्मत नहीं हारी। अहिल्याबाई ने तमाम मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया कार्याध्यक्ष विशिष्ट अतिथि उदय राजे होलकर ने कहा कि आरएसएस ने लोकमाता के कार्यों को जनजन तक पहुंचाने का संकल्प लिया है, यह स्वागत योग्य है। लोकमाता ने बदरिकाश्रम से लेकर काशी, द्वारिका आदि स्थानों पर तमाम मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। अपनी राजधानी में सूर्य घड़ी का निर्माण कराया। होलकर राज का अपना पंचांग भी बनवाया, यह उनकी दूरदर्शिता थी। समारोह की अध्यक्षता समिति की अध्यक्ष चंद्रकला पाड़िया ने की। कार्यक्रम संयोजक डा. कीर्तिका अग्रवाल ने अतिथियों एवं सभागार में उपस्थित लोगों का स्वागत किया। उन्होंने लोकमाता को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पराधीनता के लंबे कालखंड में उन्होंने हमारे जीवन मूल्यों को सहेजा। उसे पुनस्र्थापित किया। यह हमारे लिए गौरव की बात है। वह अपने साधना के बल पर लोकमाता बनीं। अनेक तीर्थों का पुनरोद्धार किया। समारोह का संचालन शालूू केसरवानी ने किया। समारोह में नारायण आश्रम की बालिकाओं ने लावणी नृत्य प्रस्तुत किया। वहीं नाट्य प्रस्तुति से लोकमाता के जीवन संघर्ष को दिखाने का सफल प्रयास किया गया।