आगरा के रियल एस्टेट कारोबारी प्रखर गर्ग के आवास पर ईडी ने 18 घंटे तक जांच की। टीम ने घर का एक-एक दस्तावेज खंगाला। माना जा रहा है कि ईडी का शिकंजा इसलिए कसा कि जिन संपत्ति को ईडी ने जब्त किया था बिल्डर ने उनका ही सौदा कर दिया। देर रात करीब 12 बजे ईडी की टीम दस्तावेज जुटाकर निकली। बिल्डर प्रखर गर्ग के घर पर बुधवार सुबह करीब 6 बजे ईडी की टीम ने छापा मारा था। करीब 8 गाड़ियों में 16 से अधिक लोग जांच में जुटे थे। देर रात 12 बजे तक ईडी की टीम बिल्डर के घर पर जांच करती रहीं। बता दें कि आगरा समेत नोएडा सहित अन्य ठिकानों पर कार्रवाई की गई। अभी हाल में प्रखर गर्ग पर 9 करोड़ के फ्रॉड की FIR दर्ज की गई है। एक साल पहले उन्होंने वृंदावन कॉरिडोर के लिए 510 करोड़ रुपए दान देने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद वो सुर्खियों में आए थे। जी होटल का पहला-दूसरा फ्लोर खरीदा था आगरा के ट्रांसपोर्ट नगर निवासी अरुण सौंधी ने थाना हरीपर्वत में मुकदमा दर्ज कराया है। उनका आरोप है कि अप्रैल 2018 में सेंट्रल बैंक रोड पर जी होटल का दूसरा और तीसरा फ्लोर खरीदने के लिए 5 करोड़ रुपए में डील आरएम. इन्फा वैन्चर्स के डायरेक्टर प्रखर गर्ग, सतीश गुप्ता, सुमित कुमार जैन व मुकेश कुमार जैन से तय हुई। पीड़ित ने 2.82 करोड़ नेफ्ट द्वारा दिए थे। जब इनसे रजिस्ट्री कराने के लिए कहा गया तो इन्होंने कहा कि द्वारिकापुरम कमला नगर की अपनी प्रॉपर्टी हमें बेच दो, उसका जो रुपए मिलेगा, उसे जी होटल की संपत्ति में एडजस्ट कर लेंगे। इसके अलावा महेन्द्र बाधगनी की ओर से दिए गए तीन फ्लैट के एक करोड़ रुपए भी जी होटल संपत्ति के पेमेंट में सम्मिलित कर लेगे। उनके कहने पर द्वारिकापुरम कमला नगर के भूतल व तृतीय तल के बेचने का सौदा 1.56 करोड़ रुपए में तय हुआ। इसके बाद 3 अगस्त 2019 को रजिस्ट्री कर दी। इसके बदले में जो चेक दिए गए थे, वो बाउंस हो गए। 2020 में मुझे ठगी का एहसास हुआ
पीड़ित का कहना है कि 2020 में उन्होंने एमजी रोड पर प्रखर गर्ग व इनके साथियों से एक बिल्डिंग में फर्स्ट फ्लोर खरीदा था। फ्लोर को फुली फर्निश करा कर 4.5 लाख रुपए किराया देने का एमओयू साइन किया था। लेकिन, लंबे समय तक काम नहीं कराया न किश्त दी। काफी समय गुजरने के बाद जब ये टालमटोल करने लगे। 2024 तक ऐसे टहलाते रहे। पीड़ित ने 9 अक्टूबर को तहरीर दी। पुलिस ने प्रखर गर्ग, राखी गर्ग, सतीश गुप्ता, सुमित कुमार जैन व मुकेश कुमार जैन के खिलाफ धोखाधड़ी मुकदमा दर्ज कर लिया है। भूमाफिया का लगाया आरोप
पीड़ित अरुण का आरोप है कि प्रखर गर्ग व उनकी पत्नी राखी गर्ग पर 25 से ज्यादा धोखाधड़ी के मुकदमे चल रहे हैं। इनमें कुछ मुकदमे ED मुख्यालय नई दिल्ली द्वारा भी किए गए हैं। ED ने इनके बैंक खाते भी फ्रीज कर दिए हैं। प्रखर गर्ग का आपराधिक इतिहास भी है। पीड़ित ने अपनी जान को खतरा होने की बात कही है। पहले भी जा चुके हैं जेल थाना हरीपर्वत पुलिस ने 2022 अक्टूबर में धोखाधड़ी के मामले में आरोपी बिल्डर प्रखर गर्ग को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था। वहां से उसे जेल भेज दिया गया। आरोपी बिल्डर प्रखर गर्ग पर वकील दंपती अनुराग गुप्ता ने ढाई करोड़ रुपए हड़पने का आरोप लगाया था। मामले में उनकी पत्नी और भरतपुर हाउस कालोनी निवासी कारोबारी अरुण कुमार सोढ़ी व उनकी पत्नी को भी आरोपी बनाया गया था। वकील ने आरोप लगाए थे कि उन्होंने व्यापार के लिए प्रखर को गर्ग को रुपए दिए थे। मुनाफा होने पर यह रकम आरोपी ने लौटाई नहीं। कई बार तगादा किया गया। लेकिन, आरोपी प्रखर हर बार कोई नया बहाना बनाकर वकील को टहलाता रहा। रकम की एवज में प्रखर गर्ग ने जो चेक दिया था, वह बाउंस हो गया था। बिल्डर पर करीब ढाई करोड़ रुपए की धोखाधड़ी किए जाने का आरोप है। कई और मामले भी दर्ज थे
आरोपी प्रखर गर्ग के खिलाफ कोर्ट ने NBW जारी किया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार न्यायालय में पेश किया और वहां उसे जेल भेज दिया। आरोपी प्रखर गर्ग समेत अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी के कई मामले में दर्ज हैं। वकील अनुराग गुप्ता ने अगस्त 2021 में आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।