इटावा जिले के सैफई स्थित आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में चिकित्सकों ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। यहां डॉक्टरों ने एक नवजात बच्ची की जटिल सर्जरी कर उसे नई जिंदगी दी है। बच्ची जन्म से ही इसोफेजियल एट्रेसिया और ट्रेकिया-इसोफेजियल फिस्टुला जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थी। बदायूं की रहने वाली मोहाज्जम और गुड़िया की पहली संतान को जन्म से ही दूध पीने में परेशानी थी। दूध और लार का रिसाव नाक और मुंह से होता था। सांस लेने में भी दिक्कत थी। स्थानीय मेडिकल कॉलेज से रेफर होकर मात्र 4 दिन की बच्ची को सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी लाया गया। यहां भर्ती के समय बच्ची का वजन सिर्फ 1.8 किलोग्राम था और उसकी हालत बेहद नाजुक थी। पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. राफे अब्दुल रहमान और डॉ. सर्वेश कुमार गुप्ता की टीम ने 4 घंटे तक चली जटिल सर्जरी में पहले दाहिने फेफड़े के पास से थोराकोटॉमी कर फिस्टुला को बंद किया। फिर खाने की नली की मरम्मत की और लैप्रोटोमी कर पेट के अंदर के छिद्र को भी ठीक किया। ऑपरेशन के दौरान डॉ. अतीत के नेतृत्व में एनेस्थीसिया टीम मौजूद रही। विभागाध्यक्ष डॉ. आई.के. शर्मा ने खुद बच्ची की स्थिति पर नजर रखी। नर्स संगीता और उनकी टीम ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऑपरेशन के बाद शिशु दो दिनों तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहा। जिसे बाल रोग विशेषज्ञों की टीम ने नियमित निगरानी से नवजात के सेप्सिस को नियंत्रित किया। पोस्ट-ऑपरेशन के छठवें दिन नासोगैस्ट्रिक ट्यूब से भोजन देना शुरू किया गया, जिसे शिशु ने धीरे-धीरे ग्रहण करना शुरू कर दिया। नौवें दिन तक शिशु को मुंह से आहार की अनुमति दी गई। इस सफल आप्रेशन पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डा पीके जैन, प्रतिकुलपति डा रमाकान्त यादव, संकायाध्यक्ष चिकित्सा डा आदेश कुमार, कुलसचिव डा चन्द्रवीर सिंह, चिकित्सा अधीक्षक डा एसपी सिंह ने आप्रेशन में भाग लेने वाले चिकित्सकों तथा स्टाफ को बधाई दी है।