किसी भी बड़े चिकित्सा संस्थान की स्थापना में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। खासकर मेडिकल की पढ़ाई के दौरान लैब सहित तमाम इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्हें शेयर करना पड़ता है। ऐसे में फुल फ्लेज काम करने में कुछ समय भी लग जाता है। स्टेबल होने के बाद ये अपनी ख्याति अनुसार काम कर सकेंगे। ये कहना है कि एम्स भुवनेश्वर की पूर्व निदेशक प्रो. गीतांजलि पद्मनाभन का। SGPGI के एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचीं गीतम इंस्टीट्यूट की वीसी प्रो. डॉ. गीतांजलि ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि SGPGI लखनऊ से पढ़कर निकले कई मेधावियों को उन्होंने एम्स भुवनेश्वर में अहम जिम्मेदारी भरे पद दिए हैं। अच्छी बात ये रही कि यहां रहकर उन्हें डॉक्टर के फर्ज को न केवल बखूबी निभाना सीखा। साथ ही समाज के प्रति कर्तव्य निभाने में भी आगे रहे। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 68वें एपिसोड में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) भुवनेश्वर की पूर्व निदेशक प्रो. गीतांजलि पद्मनाभन से खास बातचीत… डॉ. गीतांजलि कहती हैं कि नए बने किसी भी एम्स की दिल्ली एम्स से तुलना करना ठीक नहीं है। सरकार की तरफ से सभी को मिलने वाले फंड की भी तुलना नहीं की जा सकती है। ये जरूर तय है कि आने वाले 10 सालों में ये सभी एम्स भी ख्याति अनुसार काम कर सकेंगे। देखें पूरा वीडियो…