कानपुर के जिला उर्सला अस्पताल में अवैध रूप से रहने वाले लोग डॉक्टर, स्टॉफ और मरीजों के लिए नासूर बन चुके हैं। इनको हटाने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता है। यदि कोई डायरेक्टर या जिम्मेदार अधिकारी आगे आते भी है तो उन्हें भी दाब दिया जाता है। इसी का खामियाजा है कि सोमवार रात परिसर में हर्ष फायरिंग हुई और गोली अस्पताल के आईसीयू में जाकर लगी। गलिमत ये रही कि ये गोली किसी के लगी नहीं, बल्कि बुलेट नर्सिंग स्टेशन के पास जाकर गिर गई। यदि ये हादसा दिन में होता तो शायद किसी को ये गोली लग भी सकती थी। अस्पताल में इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इस ओर अभी भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। 76 मकानों में हो चुका कब्जा उर्सला में 76 मकान ऐसे है जिसमें लोगों ने कब्जा कर रखा है। ये कब्जा करने वाले कोई बाहरी नहीं बल्कि परिसर में काम करने वाले लोग ही है, जोकि पहले अस्पताल में काम करते थे। उस दौरान उन्हें रहने के लिए जगह दी गई थी। इसके बाद धीरे-धीरे उनका परिवार यहां आकर बस गया और फिर सेवानिवृत्त होने के बाद वहां पर कब्जा करके रहने लगे। अब यहां पर अंदर ही अंदर एक ऐसी यूनियर बनकर तैयार हो गई है जो आवाज उठाने पर एक हो जाती है और हंगामा करने लगती हैं। डॉक्टरों व स्टाफ को कई बार पीटा यहां के हालत ऐसे है कि यदि किसी डॉक्टर ने इन लोगों से ऊंची आवाज में बोल दिया तो ये लोग मिलकर डॉक्टर और स्टाफ को पीट देते है। जुलाई 2024 में यहां रहने वाले कुछ दबंगों ने डॉ. राहुल गायकवाड़ पर हमला बोल दिया था। हॉस्टल के अंदर घुसकर बुरी तरह से पीटा था। इसके अलावा कई बार स्टाफ के लोगों को भी पीट चुके हैं। अस्पताल परिसर में फैला रखी है अव्यवस्था अस्पताल में आने वाले बाहरी मरीजों से ये लोग व्यवस्था व ऑपरेशन कराने के नाम पर पैसे ले लेते है। इसके बाद डॉक्टर से मिलकर उन्हें अपना रिश्तेदार बताकर इलाज कराते है। यदि कोई डॉक्टर विरोध करता है तो उसे पीट देते हैं। कई बार दी जा चुकी नोटिस कब्जे खाली कराने को लेकर कई बार नोटिस दी जा चुकी है, लेकिन ये लोग तुरंत ही जनप्रतिनिधियों का सहारा ले लेते है। इसके बाद मामला वहीं दब जाता है। जुलाई में जब डॉ. राहुल की पिटाई हुई थी। इसके बाद कई गाड़ी PAC कब्जा खाली कराने पहुंची थी। इसके बावजूद भी ये कब्जे खाली नहीं हो पाए थे और धीरे-धीरे मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। बिजली काटने पर डॉक्टर को पीटा साल 2024 की शुरुआत में कब्जेदारों की बिजली काट दी गई थी। इससे नाराज दबंगों ने डॉक्टरों को जमकर पीटा था। इसके बाद मजबूरी में इन लोगों की फिर से बीजली जोड़ी गई थी। नोटिस का कोई प्रभाव नहीं पड़ता अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि जिन लोगों ने कब्जे कर रखे है उन लोगों को कई बार नोटिस भेजा जा चुका है। मगर उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। इसलिए इनके हौसले बुलंद है और आए दिन मारपीट किया करते हैं।