जनपद को क्षयरोग मुक्त बनाने एवं प्रधानमंत्री के क्षयरोग मुक्त भारत अभियान को साकार करने के उद्देश्य से ESI अस्पताल ने 5 टीबी मरीजों को गोद लिया। शुक्रवार को जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. आरपी मिश्रा की अध्यक्षता में पांडुनगर स्थित ईएसआई अस्पताल ने मरीजों को पोषण सामग्री भी वितरित की। निक्षय मित्र बन कर अब ये इन सभी क्षयरोगियों को लगातार छह महीने तक पोषण सामग्री देंगे। कोई भी बन सकता है निक्षय मित्र जिला क्षयरोग अधिकारी (DTO) डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि कोई भी व्यक्ति या संस्था स्वेच्छा से निक्षय मित्र बन सकते हैं। निक्षय मित्र बनने के बाद गोद लिए गए टीबी मरीज को यथा सामर्थ्य पोषक सामग्री देनी होती है। समय समय पर मरीज का फॉलोअप करना होता है ताकि बीच में दवा बंद न हो। टीबी मरीज की दवा बंद होने से जटिलताएं बढ़ जाती हैं और वह ड्रग रेसिस्टेंट (डीआर) टीबी मरीज बन सकता है, जिसका इलाज कठिन है। बेहतर कार्य करने वाले निक्षय मित्रों को स्वास्थ्य विभाग सम्मानित करता है। दो सप्ताह तक खांसी आए तो कराएं जांच जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया कि अगर लगातार दो सप्ताह तक खांसी आए, शाम को पसीने के साथ बुखार हो, सांस फूल रही हो, सीने में दर्द हो या बलगम में खून आए तो टीबी की जांच अवश्य करानी चाहिए। अगर समय से फेफड़े की टीबी (पल्मनरी टीबी) की पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाए तो उपचाराधीन मरीज से दूसरे लोगों के संक्रमित होने की आशंका भी कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि जिले में इस वर्ष करीब बीस हजार से अधिक टीबी मरीजों को नोटिफाई किया जा चुका है। पोषण पोटली का किया वितरण ईएसआई अस्पताल की मुख्य चिकित्सक अधीक्षिका डॉ. ज्योति वर्मा ने बताया कि पोषण पोटली के अंदर मूंगफली, गुड़, भुना चना, केला और सेब शामिल किया गया है और सलाह दी है कि इलाज के दौरान हरसंभव मदद करेंगे। गोद लिए मरीजों को हर महीने पोषण पोटली उपलब्ध कराई जाएगी तथा उनकी सुख सुविधाओं के साथ सेहत का ख्याल रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह बेहद जरूरी है कि क्षय रोगियों को प्रोटीन, विटामिन युक्त आहार मिलता रहे, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने में काफी मदद मिलेगी। इस दौरान अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ. अनामिका, डॉ. रूचि, डॉ. अजय, डॉ. अमित सहित क्षयरोग विभाग से संदीप, आलोक, कुमार गौरव व अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।