वाराणसी के मदनपुरा क्षेत्र में प्राचीन शिव मंदिर मिलने के बाद से ही काशी में हलचल तेज है। एक तरफ अधिकारी इस पूरे मामले में जांच कर रहे है तो वहीं दूसरी तरफ अब हिंदू संगठन एकजुट होकर मंदिर खुलवाने के लिए तमाम प्रयास में लगे हुए हैं। अब इस पूरे मामले में काशी विद्वत परिषद ने एक कमेटी गठित की है। राष्ट्रीय महामंत्री राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि कमेटी के सदस्य मौके पर जाएंगे मंदिर और आसपास के क्षेत्र को देखेंगे और मंदिर के बारे में सभी जानकारी प्राप्त करेंगे। आखिर क्यों बंद रहा मंदिर जांच होनी चाहिए काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री राम नारायण द्विवेदी ने कहा – परिषद इस बात पर विचार कर रही है कि क्या इसकी स्थापना किसी पूज्य संत ने की थी या किसी भक्त ने की थी या फिर यह काशी खंड में वर्णित कोई प्राचीन शिव मंदिर है। कानूनी दृष्टिकोण से परिषद मंदिर के स्वामित्व पर भी विचार कर रही है। अगर मंदिर सरकार का है तो सरकार को इसकी पूजा-अर्चना की व्यवस्था करनी चाहिए। लेकिन अगर मंदिर निजी स्वामित्व का है तो इसके बंद होने के कारणों की जांच होनी चाहिए। प्राथमिक चिंता यह है कि मंदिर एक पवित्र स्थल के रूप में बंद न रहे। सरकार मंदिर में शुरू कराए पूजा-पाठ राम नारायण द्विवेदी ने कहा अगर शिव मंदिर बंद रहता है तो इससे भारत की सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचने का खतरा है। उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय का कर्तव्य है कि वे अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं की रक्षा और संरक्षण करें। इसलिए, अगर कोई शिव मंदिर बंद पाया जाता है, तो कानूनी माध्यमों से उसके पुनरुद्धार की मांग करना उनका अधिकार है। काशी विद्वत परिषद इस मुद्दे का समर्थन करती है और आग्रह करती है कि सरकार मंदिर को पूजा के लिए खोलने में सहयोग करे। मंदिर बंद होने पर हिंदू समुदाय और समाज के लिए दुखद होगा राम नारायण द्विवेदी ने यह भी स्पष्ट किया कि हालांकि वे मंदिर के पुनरुद्धार की वकालत करते हैं, लेकिन यह भारत के संविधान का सम्मान करते हुए वैध तरीकों से किया जाना चाहिए। काशी विद्वत परिषद का मानना है कि पूजा-अर्चना भारतीय संस्कृति और परंपरा के अनुसार होनी चाहिए और अगर कोई मंदिर बंद रहता है, तो यह हिंदू समुदाय और समाज के लिए दुखद होगा। पूजा की प्राचीन पद्धतियों को करेंगे बहाल मंदिर के संबंध में काशी विद्वत परिषद ने स्थल का गहन निरीक्षण करने की योजना बनाई है और जल्द ही स्थानीय प्रशासन और जिला अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी। मंदिर का निरीक्षण करने और अगले कदम तय करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजा जाएगा। हम आस-पास के इलाके में कुछ लोगों ने मंदिर बंद होने पर चिंता जताई है, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि आस-पास दूसरे मंदिर भी हैं, वहां पूजा-अर्चना जारी रहनी चाहिए। काशी विद्वत परिषद ने भरोसा दिलाया है कि किसी भी समुदाय को कोई नुकसान नहीं होगा और उनका उद्देश्य पूजा की प्राचीन पद्धतियों को बहाल करना है, न कि नई पद्धतियां शुरू करना।