श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण को तीन साल पूरे होने पर धाम में विशेष आयोजन किए जा रहे हैं। 24 घंटे के लिए महारूद्र पाठ की गूंज के साथ अनुष्ठान किया गया। शुक्रवार यानी आज 13 नवंबर को मंदिर के लोकार्पण को तीन साल पूरे हो रहे हैं। मंदिर के लोकार्पण के ऐतिहासिक और दिव्य कार्यक्रम के तीन वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष आयोजन 10 नवंबर को आयोजन शुरू हुआ, अब 13 दिसंबर तक शाम तक जारी रहेगा। वही बाबा के इस उत्सव को खास बनाने के लिए शिव बारात समिति द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। सांस्कृतिक कार्यक्रम का होगा आयोजन विश्व भूषण मिश्रा ने बताया कि 13 दिसंबर यानी आज प्रदोष तिथि भी है इसलिये इस दिन नंदी अभिषेक भी संपन्न किया जाएगा। शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शिवार्चनम संध्या का आयोजन मंदिर चौक में किया जाएगा। इस दौरान मंदिर प्रांगण में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में काशी के संगीत कलाकार नीरज सिंह, प्रख्यात सितार वादक देवव्रत मिश्र एवं प्रख्यात भजन गायक एवं हिंदी फिल्म गायक अभिजीत घोषाल अपनी प्रस्तुतियों के द्वारा भगवान विश्वनाथ की आराधना करेंगे। मिश्रा ने बताया, ‘‘इस दौरान चौक परिसर में मंदिर न्यास के अर्चकों और कर्मचारियों इत्यादि के लिए निःशुल्क नेत्र परिक्षण एंव लघु उपचार शिविर का आयोजन शंकर नेत्रालय के सहयोग से किया जाएगा।’’ हर दिन 2 लाख भक्त करते हैं दर्शन गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को धाम का लोकार्पण किया था। जिसके बाद से यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई। भव्य और नव्य धाम से काशी के पर्यटन को रफ्तार मिली। आंकड़ों की बात करें तो अब हर दिन काशी विश्वनाथ धाम में करीब 1 लाख भक्त बाबा के दर्शन के लिए यहां आ रहे हैं। इसके अलावा विशेष दिनों में यह संख्या 3 लाख तक पहुंच जाती है। निकलेंगी शिव बारात आरके चौधरी ने बताया – शिव बरात समिति की ओर से मैदागिन से चितरंजन पार्क दशाश्वमेध तक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा में बनारस के धार्मिक संगठन सहभाग करेंगे। इसमें भगवान के स्वरूप और झांकियां आकर्षण का केंद्र होंगी। इसके अलावा परंपरागत ढंग से बैंड, ढोल, डमरू दल और शंखवादकों की टोली भी रहेगी। महाकुंभ थीम का महत्व महाकुंभ का प्रयागराज से जुड़ाव अद्वितीय है क्योंकि यहां गंगा, यमुना, और सरस्वती का संगम होता है। अन्य तीर्थ स्थलों जैसे हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक में केवल एक नदी है, लेकिन प्रयागराज का त्रिवेणी संगम इसे विशिष्ट बनाता है। इस थीम के जरिए काशी और महाकुंभ के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंध को प्रदर्शित किया जाएगा।