गंगेश पांडेय की मौत का रहस्य सुलझाने के करीब पहुंच चुकी विशेष जांच टीम (SIT) की जांच पर मृतक के परिजनों ने सवाल खड़े किए हैं। जांच में आत्महत्या का एंगल आने पर गंगेश की भाभी ने कहा कि यह कैसे पता लगाया जा सकता है कि किसी ने आत्महत्या की है या फिर उसे जहर दिया गया है? उन्होंने सोमवार को एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर से मिलकर अपनी बात रखी। तर्क दिया कि अगर गंगेश ने खुद जहर खाया होता तो मौत से पहले वह जहर खाने की बात कहता न कि सीने में जलन होने की। एसएसपी ने उनकी बातें सुनी और विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। गंगेश की भाभी ने CBI जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि पुलिस से अब न्याय की उम्मीद नहीं है। महानगर के महेवा निवासी गंगेश पांडेय की गोलघर में सड़क पर गिरने से अचानक मौत हो गई थी। वह अपने भाई योगेश की हत्या में मुख्य गवाह थे। गवाही के सिलसिले में ही दिल्ली से गोरखपुर आए थे। शुरूआत में पुलिस इसे हर्ट अटैक मान रही थी। परिजनों ने जहर देकर मारने का आरोप लगाया था। इसकी जांच के लिए एसआइटी गठित की गई। एसआइटी ने स्टेट मेडिको लीगल सेल से राय मांगी। वहां से बताया गया कि गंगेश के शरीर में जहर मिला है। लेकिन यह जहर खुद लिया गया है। सेवानिवृत्त प्रोफेसर सहित सात लोग हैं आरोपित
गंगेश 11 मई की सुबह 10:30 बजे केस के संबंध में बात करने के लिए घर से निकला था। एक घंटे बाद गोलघर में उसकी मौत हो गई। परिजनों ने इस मामले में तहरीर दी। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रो. रामदरश राय, उनके बेटे राहुल राय, राहुल यादव, राहुल पांडेय व दीप नारायण पांडेय को आरोपित बनाया। दो अधिवक्ताओं को भी इस मामले में आरोपित बनाया गया है। परिजनों ने मांगा न्याय
गंगेश के परिजनों ने न्याय की गुहार लगाई है। उनकी भाभी पुष्पा ने एसआइटी की जांच पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि पहले पुलिस केस दर्ज करने को तैयार नहीं थी। उसके बाद मौत का कारण हर्ट अटैक बताया जा रहा था। लेकिन जब विसरा की जांच रिपोर्ट में जहर की पुष्टि हुई तो मामले की लीपापोती शुरू हो गई। इसके लिए एसआइटी का गठन कर दिया गया। जांच के नाम पर पीड़ितों को ही परेशान किया गया। अब एक रिपोर्ट के आधार पर इसे आत्महत्या बताया जा रहा है। गंगेश की मौत का मोटिव नहीं देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे परिवार को न्याय मिलना चाहिए। इसकी जांच सीबीआइ से करायी जानी चाहिए।