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गो तस्करों को गाड़ी देने वालों पर कसेगा शिकंजा:ठंड बढ़ने के साथ गोरखपुर में बढ़ गया आतंक, पुलिस की सख्ती बढ़ी तो छोड़कर भाग रहे वाहन

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गोरखपुर में ठंड बढ़ने के साथ ही गो तस्करों का आतंक भी बढ़ गया था। कई स्थानों से गोवंश उठाने के मामले प्रकाश में आए। विरोध करने वालों पर पत्थरबाजी कर एवं पिस्टल लहराकर दहशत भी फैलाने लगे थे। पुलिस ने इसे चुनौती के रूप में लिया और पिछले चार दिनों से धरपकड़ तेज कर दी। अधिकारी भी रात में गश्त करने लगे। तीन टीमें बना दी गईं। दो दिनों से लगातार गो तस्करों से पुलिस का सामना हो रहा है। पुलिस से बचकर उन्हें भागना पड़ रहा है। इस बीच चार ऐसे मामले आए जब तस्कर पिकप छोड़कर भाग गए। पुलिस उनकी तलाश करने के साथ गो तस्करों को पिकप देने वालों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में है।
पुलिस ने एक दिन पहले तीन पिकप बरामद की थी। इसमें से एक शाहपुर व दो खोराबार में दाखिल की गई। एक गाड़ी पिपराइच क्षेत्र में भी तस्कर छोड़कर भागे थे। लगभग एक दर्जन गोवंश भी बरामद किए गए। रविवार की रात में ही पुलिस ने पीछा कर चौरी चौरा में एक पिकप बरामद की है। उसमें से भी तस्कर अंधेरे का लाभ उठाकर भागने में सफल रहे। मोटा किराया मिलता है तो दे देते हैं पिकप
जांच में यह बात सामने आ रही है कि गो तस्कर पिकप किराए पर लेते हैं। पिकप खरीदने वालों से वे किराए का सौदा करते हैं। पूरी किस्त भरने के साथ ही 25 से 30 हजार रुपया ऊपर से देने की बात भी करते हैं। ऐसे में गाड़ी मालिकों को यह काम अच्छा लगता है। पकड़े गए पिकप के मालिकों की तलाश कर पुलिस उनतक पहुंचने का प्रयास कर रही है। उनसे इस बात का पता लगाया जाएगा कि उन्होंने किसे पिकप चलाने को दिया था। गाड़ी मालिक पर भी हो सकती है कार्रवाई
इस मामले में पशु तस्करी में सहयोग के आरोप में गाड़ी मालिकों पर भी कार्रवाई हो सकती है। गाड़ी किराए पर लेने के बाद उसका किस काम में इस्तेमाल किया जा रहा है, इससे आपतौर पर गाड़ी मालिक भी अनभिज्ञता जताते हैं। लेकिन यह माना जाएगा कि इस काम में उनकी भी सहमति है। पुलिस का मानना है कि मालिक के सहारे गाड़ी का उपयोग करने वालों तक पहुंचना आसान होगा। तस्करों का शहर में रोक देंगे प्रवेश तस्करों का शहर में प्रवेश रोकने के लिए पुलिस ने खाका बना लिया है। सभी प्रवेश द्वारों पर पिकेट लगायी जा रही है। रात में पेट्रोलिंग भी बढ़ाई गई है। गो तस्कर गोवंश लेकर रातोरात बिहार निकलने की फिराक में रहते हैं। इसके लिए वे दो रास्ता अपनाते हैं। एक कुशीनगर होकर तो दूसरा देवरिया के रास्ते। इन दोनों मार्गों पर पुलिस की मौजूदगी बढ़ायी जा रही है। शहर में कहीं भी पशु तस्कर दिखने पर उनका पीछा किया जा रहा है। चारो ओर से घेराबंदी कर उन्हें रोकने की कोशिश हो रही है। तीन दिनों से चल रहे इस अभियान से कामयाबी भी मिली है। बिहार से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक सक्रिय है पशु तस्करों का गिरोह
तस्करों की धरपकड़ के दौरान यह बात सामने आयी है कि बिहार से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक उनका एक संगठित नेटवर्क सक्रिय है। जिले की पुलिस व क्राइम ब्रांच की टीम ने सोमवार को रामपुर जिले के रहने वाले सैफ को गिरफ्तार किया है, जो पिछले दो महीनों से पशु तस्करों के लिए रेकी कर रहा था। पूछताछ के दौरान सैफ ने बताया कि वह एक गाड़ी को रेकी करने और उसे बिहार तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए 2500 रुपये लेता है। जब गाड़ी बिहार पहुंचती है तो गाड़ी लेकर आने वाली टीम के मुखिया को एक लाख रुपये मिलते हैं। 3 से 4 गैंग हैं सक्रिय पुलिस की छानबीन से पता चला है कि इस काम में तीन से चार गैंग सक्रिय हैं, जो आपस में मिलकर काम करते हैं। बिहार सीमा से सटे गांवों में 200 से अधिक पिकप को भी चिन्हित किया गया है। इन्हीं का उपयोग तस्कर शहर से पशुओं को लाने के लिए करते हैं। सभी पिकप में इस तरह से बदलाव कराया गया है कि जब गाड़ी चले तो धूल उड़े। जिससे पीछा करने वाले की आंखों में पड़े। इस जानकारी के बाद पुलिस पशु तस्करों के नेटवर्क को तोड़ने में जुट गई है। क्या कहती है पुलिस
एसपी सिटी अभिनव त्यागी का कहना है कि गो तस्करों के विरुद्ध धरपकड़ तेज कर दी गई है। विशेष टीमों को लगाया गया है। दो दिनों में बड़ी कामयाबी मिली है। तस्कर विभिन्न थानाक्षेत्रों में गाड़ी छोड़कर भागे हैं। उनकी तलाश चल रही है। जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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