144 साल बाद 13 जनवरी से हो रहे महाकुंभ में हर कोई आस्था की डुबकी लगा कर अपने आप को कृतार्थ करने की चाह में है। अब ऐसा मौका किसी भी इंसान के जीवन में दोबारा नहीं आने वाला। जिस कारण इस महाकुंभ में लाखों करोड़ों लोग इस महापर्व के साक्षी बनने को बेकरार है। वहीं कई लोग ऐसे भी है जो श्रद्धा के इस महापर्व में जुड़ कर पुण्य तो कमाना चाहते है, लेकिन किन्हीं कारणोंवश पहुंच नहीं सकते। अगर आप भी समस्याओं व दुविधाओं के कारण इस महाकुंभ में नहीं जा पा रहे तो परेशान होने की बात नहीं है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक कुछ मंत्रों के जाप से ही आप महाकुंभ के अमृत जल से खुद को सराबोर कर पुण्य का लाभ ले सकते है। आत्मिक, मानसिक शुद्धि के साथ आर्थिक लाभ ले सकते हैं। यह हैं शाही स्नान की 6 तिथियां हिंदू धर्म का सबसे धार्मिक समागम, अध्यात्मिक शुद्धि, धार्मिक उपासना का केंद्र महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। पोष माह की पूर्णिमा से शुरू होने वाले इस समागम में 6 शाही स्नान होंगे, जो कि 13 जनवरी, 14 व 29 जनवरी, 3 फरवरी, 12 व 26 फरवरी को होंगे। महापंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के साधु सबसे पहला शाही स्नान करेंगे। इसके बाद अन्य साधु, संत, आमजन महाकुंभ में डुबकी लगा कर पुण्य का लाभ लेंगे। इस दौरान तमाम बच्चे, बुजुर्ग व असहाय लोग ऐसे भी है, जो महाकुंभ में जाने में सक्षम नहीं है। ज्योतिषाचार्य नितिशा मल्होत्रा के मुताबिक महाकुंभ के अमृत जल का पुण्य घर बैठे ही कमाया जा सकता है। ऊं गंगा,जमुना सरस्वते: का करें जाप ज्योतिषाचार्य नितिशा के मुताबिक पीतल, तांबे, चांदी या सोने के कलश में गंगाजल की कुछ बूंदों के साथ जल से भर कर चांदी का सिक्का कलश में डाल दें। इसके बाद तुलसी पत्र डाल कर पूरी आस्था के साथ ऊं गंगा,जमुना सरस्वते: का जाप कर स्नान करिए। इस जाप को करके आप अमृत जल का स्नान कर महाकुंभ के पुण्य को कमा सकते हैं। वहीं सिद्धनाथ धाम के महाराज अरुण चैतन्यपुरी ने बताया कि भागवत में कहा गया है कि गंगा 100 योजन तक अपने नाम का प्रभाव रखती हैं। अगर आप मानसिक रुप से गंगा का आह्वान करके अपने जलपात्र में उन्हें स्थापित कर हर हर गंगे का उच्चारण कर तीनों पवित्र नदियों को याद कर स्नान करते हैं तो उसका अविस्मरणीय लाभ मिल सकता है। कलयुग में मिलता मानसिक पूजा का लाभ चैतन्यपुरी ने बताया कि कलयुग में मानसिक पूजा का विशेष लाभ मिलता है, भगवान शंकराचार्य ने भी इसकी महिमा का वर्णन किया है। शारीरिक रुप से, आर्थिक रुप अक्षम व्यक्ति इसका लाभ ले सकता है। बताया कि गंगा का मानसिक रुप से आह्वान करने से अप्रत्यक्ष शक्तियां आकर्षित करतीं हैं। जिससे अमृत जलपात्र में आता है। जानिए पोष माह की पूर्णिमा का महत्व ज्योतिषाचार्याें की मानें तो समुद्र मंथन की कथा के अनुसार अमृत कलश की चार बूंदे धरती पर चार स्थानों पर हरिद्वार, उज्जैन, नासिक व प्रयागराज शामिल हैं। जहां पर अर्धकुंभ, महाकुंभ व पूर्णकुंभ का मेला आयोजित किया जाता है। पोष माह की पूर्णिमा में यह बूंदे धरती पर गिरी थीं, जिस कारण महाकुंभ की शुरूआत इस तिथि पर होती हैं।