बलरामपुर: शनिवार को आयोजित लोक अदालत के माध्यम से कई पुराने मामलों का निस्तारण हुआ, जिनमें पैसे के लेनदेन और मारपीट से संबंधित मामले प्रमुख रहे। इन मामलों से संबंधित लोग वर्षों से अदालतों के चक्कर काट रहे थे, जिन्हें अब सुलह समझौते के माध्यम से न्याय मिल गया है। लोक अदालत में एक चेक बाउंस मामले का निस्तारण हुआ, जिसमें नई बाजार निवासी सुजीत प्रताप सिंह को न्याय मिला। दोनों पक्षों में हुए समझौते के आधार पर विकास नगर लखनऊ निवासी शैलेंद्र कुमार रावत ने उन्हें लाख रुपये दिए, जिससे मामला समाप्त हो गया। चार लाख रुपये के चेक का विवाद सुलझा इटियाथोक गोंडा निवासी उमर चौधरी ने बलरामपुर के सरायखास निवासी विवेक कुमार सिंह को चार लाख रुपये का चेक दिया था, लेकिन चेक से भुगतान न होने पर विवेक ने सीजेएम न्यायालय में वाद दायर किया था। दो साल तक न्यायालय का चक्कर लगाने के बाद, लोक अदालत के माध्यम से दोनों पक्षों में समझौता हो गया। उमर चौधरी ने चार लाख रुपये का भुगतान विवेक कुमार को कर दिया, जिससे मामला समाप्त हो गया। जिला पंचायत के चालानी मामलों में सुलह लोक अदालत में जिला पंचायत द्वारा अनोखी लाल, राजेश वर्मा और सियाराम के खिलाफ चालानी भेजी गई थी। न्यायालय में जिला पंचायत और आरोपितों के बीच समझौता हो गया, जिसके बाद इन लोगों ने अर्थदंड दे दिया, और मुकदमा समाप्त हो गया। श्रम विभाग के मामलों में सुलह समझौता श्रम विभाग द्वारा श्रम एक्ट के तहत अफरोज, अरविंद उपाध्याय, अखलाक और नफीस के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया था। लोक अदालत में इन लोगों ने श्रम विभाग से समझौता करते हुए अर्थदंड दे दिया, जिससे इन मामलों का निस्तारण हो गया। मारपीट के मामलों में भी हुआ समझौता मारपीट के मामलों में भी लोक अदालत ने सुलह करवाई। कोतवाली नगर पुलिस ने अंशू पांडेय के प्रार्थनापत्र पर अमित त्रिपाठी के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया था, लेकिन शनिवार को दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद मुकदमा समाप्त कर दिया गया। इसी प्रकार, थाना तुलसीपुर में अब्दुल सलाम ने वर्ष 2008 में हसीमुल्ला के खिलाफ मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया था। लोक अदालत में दोनों पक्षों में समझौता होने के कारण यह मुकदमा भी समाप्त हो गया। लोक अदालत से मिली राहत इन सभी मामलों में लोक अदालत के माध्यम से सुलह समझौते के चलते लोगों को राहत मिली है। इन समझौतों के परिणामस्वरूप लंबे समय से लंबित मामलों का समाधान हुआ और लोग अब अदालतों के चक्कर से मुक्त हो गए हैं।