जौनपुर में जहां एक तरफ जिला प्रशासन और विकास कार्यों से जुड़ा अमला गांवों को खुली शौच से मुक्त (ODF) अभियान में ताकत झोंक रहा है, वहीं दूसरी तरफ शहर में गंदगी और बदबू का आलम है। यह एक बड़ी विडंबना है, क्योंकि स्वच्छता अभियान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष रुचि और उत्तर प्रदेश सरकार की भी इस दिशा में सक्रियता दिखाई जा रही है, लेकिन शहर की सफाई पर कोई खास असर नहीं दिखाई दे रहा। मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करना भी नाकाफी
जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जौनपुर के दौरे के दौरान शहर की गंदगी पर सवाल उठाया था, तो यह उम्मीद थी कि प्रशासन इस पर गंभीरता से काम करेगा। लेकिन, शहर की हालत जस की तस बनी रही। गोमती नदी के तट पर स्थित इलाकों में गंदगी का ढेर लगा हुआ है, और बदबू से वातावरण दूषित हो चुका है। नगर पालिका की सफाई व्यवस्था का हाल
नगर पालिका ने सफाई के लिए सफाईकर्मियों की नियुक्ति तो की है, लेकिन इसके बावजूद शहर में गंदगी का अंबार देखा जा रहा है। शहर के कई इलाकों जैसे पान दरीबा, उमरपुर, चांदमारी में गंदगी फैली हुई है। यहां तक कि गोमती नदी के किनारों पर खुले में शौच करने वालों की तादाद बड़ी हुई है, और प्रशासन की कोशिशें इस पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रही हैं। स्वच्छता अभियान के तहत उठाए गए कदम
नगर पालिका अधिशासी अधिकारी पवन कुमार का कहना है कि शहर में प्रतिदिन सफाई कराई जाती है। यदि गंदगी का कोई मामला सामने आता है, तो उसकी जांच कराकर उसे निस्तारित किया जाएगा। प्रभावित लोग
इन गंदे इलाकों में रहने वालों और वहां से गुजरने वाले लोगों के लिए यह स्थिति बहुत ही कष्टदायक है। गंदगी से न केवल दुर्गंध फैल रही है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी खतरे का कारण बन सकती है। इस प्रकार, स्वच्छता अभियान के तहत की गई सरकारी कोशिशें जौनपुर में ठंडी हवा साबित हो रही हैं, और शहर की गंदगी को लेकर उठाए गए कदम अब तक प्रभावी नहीं हो सके हैं।