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टांडा: सरकारी उचित दर की दुकान जिसके नाम वो रहता अन्य प्रदेश, सरकारी दुकान को दिया बेच, सप्लाई स्पेक्टर ने आंख में बांध रखीं पट्टी

अर्पित सिंह श्रीवास्तव ब्यूरो प्रमुख अम्बेडकरनगर

अम्बेडकरनगर। जनपद मुख्यालय की टांडा तहसील क्षेत्र अंतर्गत छोटी बाजार कस्बा पश्चिम में सरकारी उचित दर की दुकान के अभिकर्ता कृष्ण कुमार है जो कस्बा टांडा के नाम से संचालित होती हैं। उक्त दुकान से क्षेत्र के लोगों को मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री द्वारा राशन योजना के नाम से गेहूं, चावल आदि का वितरण होता है।
गल्ले के वितरण में जबरदस्त धांधली की शिकायत भी अक्सर प्राप्त होती हैं वहीं नाम न छापने की शर्त पर एक संभ्रांत व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि सरकारी उचित दर की दुकान कृष्ण कुमार के नाम से खाद्य एवं रशद विभाग अधिकारी ने आवंटित किया है लेकिन इस दुकान में बड़ा खेला हो रहा हैं। उन्होंने बताया कि उक्त दुकान के मालिक बीते कई सालों से कलकत्ता के पश्चिम बंगाल में निवास करते हैं लेकिन अपनी दुकान दूसरे के हवाले करते हुए बेच दिए है जो आज भी उनके गैर मौजूदगी में गल्ले का वितरण एक दबंग व्यक्ति करता है और यही नहीं उन्होंने आरोप लगाते हुए बताया कि गल्ले के वितरण में भी तौल के माप से लेकर फर्जी राशन कार्ड बनवा कर गल्ले का विक्रय किया जाता है उन्होंने बताया कि अंधाधुन पैसा सरकारी योजना के गल्ले की चोरी कर स्थानीय खाद विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत कर अर्जित किया जाता हैं जब सत्यापन कराने की आवश्यकता होती हैं तो अपना पैसा खर्च कर सरकारी उचित दर कि दुकान के अभिकर्ता कृष्ण कुमार को किराया भाड़ा खर्च कर बुला लिया जाता हैं और सत्यापन कर दिया जाता हैं यही नहीं उनकी फर्जी सिग्नेचर भी कर के सत्यापन कराने की बात भी सामने आई है।
ऐसे में कैसे हो रहा बड़ा खेल जो जांच का विषय है बड़े पैमाने पर गल्ले के घोटाला किए जाने का प्रकरण सामने आ रहा हैं जिसे जिला अधिकारी अविनाश सिंह अपने संज्ञान में लेते हुए जांच कराए तो बड़ा खुलासा होगा और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत होने का भी संकेत साफ होता दिखाई देगा। सबसे बड़े मजे कि बात तो यह है कि कृष्ण कुमार का न तो यहां राशन कार्ड में नाम दर्ज है न ही वोटर लिस्ट में और अब उनका निवास भी यहां प्रमाणित नहीं है जो भी है वो अब पश्चिम बंगाल में ही उनका आशियाना मौजूद है बावजूद इसके सरकारी उचित दर कि दुकान उसके नाम आज तक चल रही इसमें खाद विभाग अधिकारी के मिलीभगत के बिना इत्ती बड़ी अनियमितता होना संभव नहीं है कही न कहीं लबे पैमाने पर घोटाला किए जाने एवं निजी स्वार्थों की पूर्ति करने का संकेत मिल रहा हैं अब तक क्यों नहीं कि है दुकान की नीलामी और क्यों नहीं विभाग ने जांच कर निरस्त किया सरकारी उचित दर कि दुकान की पत्रावली अगर जांच हो तो होगा बड़ा खुलासा।

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