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ठंड में बदला गोरखपुर चिड़ियाघर के जानवरों का डाइट चार्ट:जानवरों के लिए गर्म पानी, ब्लोअर और गर्म बिस्तर का इंतजाम, शेरों को अधिक-सांपों को दिया जा रहा कम भोजन

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गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में ठंड की दस्तक के साथ ही पशु-पक्षियों के खानपान और देखभाल में बड़े बदलाव किए गए हैं। मांसाहारी जानवरों के भोजन की मात्रा बढ़ा दी गई है, जबकि शाकाहारी पशुओं को खास आहार दिया जा रहा है। ठंड से बचाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं, जिनमें ब्लोअर, गर्म पानी और पुआल के बिस्तर शामिल हैं। भोजन में हुआ बड़ा बदलाव
चिड़ियाघर में करीब 275 पशु-पक्षी हैं, जिनके आहार को ठंड के हिसाब से बदला गया है:
• बाघ और चीता: प्रतिदिन 12 किलोग्राम मांस के बजाय अब 14 किलोग्राम दिया जा रहा है।
• तेंदुआ और लकड़बग्घा: भोजन की मात्रा 4 किलोग्राम से बढ़ाकर 6 किलोग्राम कर दी गई है।
• सियार और लोमड़ी: सियार को 1.5 किलोग्राम और लोमड़ी को 1 किलोग्राम मांस दिया जा रहा है।
• भालू: फल और सब्जियों के साथ हर दिन 50-100 ग्राम शहद दिया जा रहा है।
• गैंडा: गन्ना, शकरकंद और बरसीम की मात्रा बढ़ा दी गई है।
• हिरण और बंदर: इनके आहार में गुड़ शामिल किया गया है, जिससे शरीर को गर्मी मिले।
• पक्षी: दाने की मात्रा बढ़ाई गई है, जबकि पानी कम दिया जा रहा है। सांप और मगरमच्छ के भोजन में कटौती
सांप, अजगर, मगरमच्छ और घड़ियाल ठंड में कम सक्रिय हो जाते हैं। उनके शरीर का तापमान गिरने से भोजन की आवश्यकता घट जाती है।
• सांपों को अब 25 दिन में एक बार भोजन दिया जा रहा है।
• अजगर को खरगोश और मगरमच्छ को मछलियां गर्मियों की तुलना में कम मात्रा में दी जा रही हैं।
• घड़ियाल और मगरमच्छ को पहले जहां सप्ताह में दो बार जीवित मछलियां मिलती थीं, अब यह 20 दिन में एक बार दी जा रही हैं। ठंड से बचाने के लिए खास इंतजाम
चिड़ियाघर प्रशासन ने जानवरों को ठंड से बचाने के लिए अतिरिक्त सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं:
• शेर और गैंडा: उनके लिए पुआल के गर्म बिस्तर तैयार किए गए हैं।
• सांप और अजगर: ब्लोअर लगाए गए हैं, ताकि उनके बाड़ों में तापमान नियंत्रित रहे।
• मगरमच्छ: इनके लिए गर्म पानी का इंतजाम किया गया है। पशु-पक्षियों को स्वस्थ रखने के लिए हुआ बदलाव
चिड़ियाघर के चिकित्साधिकारी योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि ठंड के मौसम में जानवरों के खानपान और देखभाल में बदलाव जरूरी है। मांसाहारी जानवरों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भोजन बढ़ाया गया है, जबकि ठंड में निष्क्रिय रहने वाले सांप और मगरमच्छ के आहार में कटौती की गई है। यह सभी बदलाव पशु-पक्षियों को स्वस्थ रखने के लिए किए गए हैं।

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