ओवरलोड गन्ना ट्रालियों से सड़क पर गिरते हैं गन्ने
चीनी मिल तक गन्ना लाने में हो रहा अवैध ट्रालों का उपयोग, दुर्घटनाओं की बढ़ी आशंका, टैक्स की भी हो रही चोरी
अम्बेडकरनगर। शहर से लेकर देहात तक इन दिनों सड़कों पर गन्ना भरे ओवरलोड वाहन यमदूत बनकर दौड़ रहे हैं। इससे न सिर्फ हादसों का अंदेशा है, बल्कि यह जगह-जगह जाम का कारण बन रहे हैं।इन दिनों किसानों द्वारा गन्ने को ट्रेक्टर ट्रालियों में लाद कर सुगर मिलों में ले जा रहे हैं। किसानों के अलावा मिल के ट्रेक्टरों, किराए के ट्रेक्टरों में भी गन्ना ढोया जाता है। इन ट्रालियों में अधिकतर क्षमता से अधिक गन्ना लदा देखा जाता है। जिससे कई प्रकार की समस्याएं गन्ना ढुलाई के दौरान सामने आती हैं।चीनी मिलों द्वारा क्षेत्र में बनाए गए तौल केंद्रों पर एकत्र होने वाले गन्ने को ट्रकों द्वारा भेजा जा रहा है। गन्ना क्रय केंद्रों से ट्रकों को ओवरलोड कर भर दिया जात है जो सड़कों पर चलते डोलते नजर आते हैं। घुमाव वाले रास्ते पर इनके पलट जाने का खतरा बना रहता हे।इस तरह के वाहन अब से पहले पलटे भी हैं। ओवरलोड गन्ने से भरे ट्रक से राहगीर व दुकानदार सब चितित रहते हैं। उधर, बच्चे भी इन ट्रकों से जान जोखिम में डालकर गन्ना खींचते हैं। इस कारण कभी भी बडा हादसा हो सकता है।आए दिन ओवरलोड गन्ना ट्राली जब सड़कों के गडढों या असमतल सड़कों से होकर गुजरती है तो उसके पलटने का खतरा बना रहता है। सबसे अधिक जोखिम सड़क पर चल रहे दूसरे राहगीरों को रहता है। बाजू से ऐसी ट्राली को क्रास करके गुजरना बाइक सवारों को कभी भी भारी पडऩे की आशंका बनी रहती है। इतना ही नहीं अक्सर ठसाठस भरी ट्राली से पीछे गन्ने गिरते भी रहते हैं। सड़क पर गिर रहे इन गन्नों से सबसे अधिक खतरा होता है।
बताया जाता है जल्दबाजी के चक्कर में कटाई ठेकेदारों द्वारा लापरवाही पूर्वक गन्ने की ट्राली भरी जा रही हैं। उनके द्वारा गन्ने को ठीक से लोड नहीं किया जाता। इससे सड़क पर कोई गडढा आने ट्राली का जरा सा जर्क लगने पर लदे गन्ने नीचे सड़क पर गिरने लगते हैं। इनसे पीछे से आ रहे दूसरे वाहन चालकों को दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।ट्रालियों के पीछे कोई रिफ्लेक्शन या बैकलाइट नहीं होने से कई बार कोहरे में आने वाली गाड़ियां उन्हें देख नहीं पाती. जिससे दुर्घटना बढ़ती है. हालांकि यह नियम में है कि ट्रालियों के पीछे रिफ्लेक्टर लगाए जाए ताकि वह पीछे से आई हुई गाड़ी देखकर निकल सके. लेकिन किसानों की गाडियो पर कोई रिफ्लेक्टर नही होता. यातायात विभाग आंखें मूंदे रहता है.यातायात विभाग के लापरवाही और मिल प्रबंधन की मनमानी इतने पर ही खत्म नहीं होती. कांटों से मिलों तक लाने के लिए मिल प्रबंधन अपनी व्यवस्था करता है. जिसका नियम है कि ट्रैकों से उसकी धुलाई हो क्योंकि ट्रैकों में जरूरी लाइट और मानक तय होता है. जिससे लोगों को अंदाजा मिल जाता. पर अम्बेडकरनगर जिले में मिल प्रबंधन ट्रैकों का प्रयोग कोरमपूर्ती बस करता, क्योंकि उसके लिए सरकार को टैक्स आदि मिलाकर महंगी पेमेंट देनी पड़ती है. पैसा बचाने के लिए मिल प्रबंधन के द्वारा गन्ना ढोने में दूनी या तीन गुने आकर के अवैध ट्रालो का निर्माण कराया जाता है. उन्हें खींचने के लिए ट्रैक्टर का प्रयोग होता. जो ट्रैक्टर कृषि कार्य के लिए रजिस्टर्ड है. पर कमर्शियल कामों में अम्बेडकरनगर जिले में इसका अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है. जिससे सरकार को मिलने वाले टैक्स की चोरी होती वही दूसरी ओर ट्रैक्टर से जुड़े इन ट्रालों को कई बार ओवरटेक करने में गलत अंदाज लगता हैं.