रेलवे मालगोदाम की जमीन पर खड़ी हरियाली पर आरी चलाने आवासीय प्रोजेक्ट को लांच करने की तैयारियों के बीच बिल्डर ने साइट से प्रोजेक्ट से संबंधित पोस्टर हटा दिए हैं। दो दिन पहले ही यहां कई पोस्लटर गाए गए थे। साथ ही साइट पर सिक्यूरिटी बढ़ा दी गई है। अब यहां किसी को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा।
वहीं, इस पूरे मामले को 18 दिसंबर को सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी (CEC) के समक्ष रखने की तैयारी है। इसमें सेटेलाइट इमेज सबूत के तौर पर पेश की जाएंगी।
रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) ने गधापाड़ा मालगोदाम फ्रीगंज की 90,304 वर्ग मीटर जमीन को 99 वर्षों के लिए पट्टे पर दिया गया है। जिस बिल्डर को यह जमीन दी गई है, वह यहां आवासीय प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी में है। इसके लिए यहां पेड़ों को काटकर जलाया गया है।
बताया जा रहा है कि 90,304 वर्ग मीटर जमीन में 77,225 वर्ग मीटर जमीन पर ग्रीन बेल्ट थी। याचिकाकर्ता डा. शरद गुप्ता ने बताया कि मालगोदाम की जमीन के अंदर बड़ा तालाब और नाला भी निकल रहा है। पांच शेड के अलावा जो जगह है, वहां पुराने पेड़ खड़े हैं। जिन्हें काटकर जमीन फ्लैट बनाने के लिए समतल की गई है।
दो दिन पहले इस साइट पर बिल्डर द्वारा काफी बड़े क्षेत्र में बैनर लगाए गए थे। दो दिन मामला जब तूल पकड़ा तो बिल्डर ने ये पोस्टर हटा दिए हैं। साथ ही मालगोदाम के गेट पर सुरक्षा बढ़ा दी है।
यह निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी थी। मगर, इससे पहले पेड़ काटे जाने का मामला तूल पकड़ गया। 18 दिसंबर को CEC की भी बैठक होनी है। ऐसे में खतरे को भांपते हुए साइट से पोस्टर हटा दिए गए हैं।
इस मामले में डा. शरद गुप्ता की याचिका पर CEC ने 18 दिसंबर को दिल्ली स्थित अपने कार्यालय पर बैठक बुलाई है। इस बैठक में TTZ के चेयरमैन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, मुख्य वन संरक्षक, रेल भूमि विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, डीएफओ आगरा और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। इसमें याचिकाकर्ता भी जाएंगे।
उनका कहना है कि सबूत के तौर पर वे मालगोदाम की वर्तमान तस्वीरों के साथ-साथ पूर्व की सेटेलाइट इमेजों को CEC के समक्ष रखेंगे। इससे स्पष्ट होगा कि पूर्व में मालगोदाम में कितनी हरियाली थी, अब वहां क्या हालात हैं।