पाकिस्तान के सिंध प्रांत का माहौल अच्छा नहीं है। ये लोग वीजा लेकर भारत आते हैं तो यहां के त्योहारों का एहसास होता है। सोचते हैं काश! पूरे पाकिस्तान में भी ऐसे ही त्योहार मनाए जाते। लेकिन वहां ये दबे-कुचले रहते हैं। उनका दिन करता है कि यहीं बस जाएं, लेकिन उनको वहीं रहना और व्यापार करना है। इसलिए कुछ बोल नहीं पाते। ये कहना है ओमप्रकाश ओमी का, जो सिंधी युवा समाज के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष हैं। सिंध से 68 लोगों का डेलिगेशन 5 फरवरी को प्रयागराज महाकुंभ में स्नान करने पहुंचा। सिंध से आए लोग दैनिक भास्कर के कैमरे पर खुलकर नहीं बोले। ओमप्रकाश ने इस डेलिगेशन से बातचीत कर पाकिस्तानी हिंदुओं का दर्द बयां किया। पढ़िए ये रिपोर्ट… ओमप्रकाश ओमी ने बताया कि सिंधी लोगों की बड़ी तमन्ना थी कि वो प्रयागराज महाकुंभ में आकर संगम में डुबकी लगाएं। यहां आकर उन्होंने गंगा में डुबकी लगाई। उनका कहना था कि आस्था का ऐसा संगम उन्होंने कभी नहीं देखा। श्रद्धालुओं की ऐसी भीड़ आजतक नहीं देखी। ‘सिंधी चाहते हैं भारतीय त्योहार वहां भी धूमधाम से वहां मनें’
ओमप्रकाश ओमी ने कहा, सिंध के मीरपुर शहर से 68 श्रद्धालुओं का जत्था आया है। उन लोगों का कहना है कि सिंध का माहौल यहां जैसा नहीं है। वो देखते हैं कि भारत में होली और दिवाली भाईचारे के साथ मनाई जाती है। जितने भी सिंधी त्योहार है, वो धूमधाम से मनते हैं। ऐसे में उन्हें एहसास होता है कि काश ये त्योहार उतने ही धूमधाम से सिंध की धरती पर भी मनाए जाते। वो चाहते हैं कि हमेशा के लिए भारत की धरती पर बस जाएं। ‘यहां आकर जीवन धन्य हो गया’
रायपुर (छत्तीसगढ़) के शदाणी दरबार तीर्थ के पीठाधीश्वर संत डॉ. युधिष्ठिर लाल ने बताया- इस तीर्थ के माध्यम से भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक यात्रा का एक पुराना करार है। अनेक वर्षों से ये जत्था पाकिस्तान से रायपुर आता रहा है। पहली बार ऐसा हुआ है कि ये जत्था अमृतसर बॉर्डर के जरिए सीधे प्रयागराज महाकुंभ में आया है। ये जत्था यहां 3 दिन रहेगा। संतों के दर्शन, उनके प्रवचन सुनेंगे। संगम में डुबकी लगाएंगे और 8 फरवरी की रात को हरिद्वार के रास्ते रवाना हो जाएंगे। यहां आकर पूरा जत्था बड़े ही आनंद में है। हमारा जीवन धन्य हो गया। इस आनंद को महसूस करने आए हैं
सिंध के गोविंद राम मखीजा ने बताया- ये हिंदू, सनातन धर्म का एक बहुत बड़ा अवसर है। 12 साल बाद हिंदुओं के सभी अखाड़े, पंथ, परंपराएं इकट्ठा होकर महाकुंभ में स्नान करते हैं। कहते हैं कि वेदों में लिखा है कि यहां अमृत वर्षा होती है। इसलिए हम सभी इस अमृत वर्षा को महसूस करते हैं। रात को मैंने देखा कि ठंडी हवाएं चल रही थीं। मुझे लगा कि ये भी एक कुदरत की वर्षा है, जो हमारे जिस्म को छू रह है। ऐसी वर्षा, ऐसी आनंद को कोई गंवाना नहीं चाहता। इसलिए हम पाकिस्तान से हिंदुस्तान आए हैं। डेलिगेशन में डॉक्टर और इंजीनियर भी शामिल
सिंध में मीरपुर शहर के डॉ. मयराशरण ने बताया- पाकिस्तानी डेलिगेशन में डॉक्टर्स, इंजीनियर्स, बिजनेसमैन सहित कई प्रोफेशन के लोग शामिल हैं। मकसद यही है कि सद्गुरु का आशीर्वाद लें और कुंभ के दर्शन करें। —————— ये खबर भी पढ़ें… ‘अपनी पहचान, दिनचर्या और संस्कार को स्पष्ट रखें हिंदू’:अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि अपनी पहचान बनाए रखने के लिए तिलक, चोटी, कंठी, जनेऊ और धोती जैसे धर्मचिह्न धारण करना आवश्यक है। इसी तरह अपनी दिनचर्या में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना, संध्या पूजन करना और दिन में समय से पवित्र भोजन कर रात्रि में जल्दी सोना ही युक्ताहार विहार कहलाता है। पढ़ें पूरी खबर…
![](https://drishyamindia.com/wp-content/uploads/2025/02/screenshot20250208011946google_1738957838-2U4pu9-300x300.png)