विधान परिषद में भाजपा के सदस्य विजय बहादुर पाठक ने थानों में महिलाओं के शौचालय न होने का मुद्दा उठाया। नियम 110 के तहत मामले को उठाते हुए विजय बहादुर ने कहा कि सरकार मिशन शक्ति नारी सुरक्षा को लेकर अभियान चला रही है। गांव-गांव घर-घर में शौचालय बनायें जाने का अभियान चलाकर करोड़ों रूपयों की धनराशि व्यय की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के प्रत्येक थानों पर महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है। प्रदेश के अधिकांश थानों में महिला शौचालय है ही नहीं अगर हैं भी तो उनकी स्थिति बड़ी ही दयनीय बन चुकी है। महिला वादकारियों को हाेती है परेशानी जिन थानों में महिला शौचालय निर्मित है उनकी साफ-सफाई न होने के कारण महिला वादकारियों को परेशानी होती है। प्रदेश के थानों पर महिला पुलिसकर्मी तैनात है केवल महिला थाने को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी थानों पर महिला पुलिसकर्मी पुरूष शौचालयों का प्रयोग करने को मजबूर हैं। स्वच्छता को लेकर स्वयंसेवी संस्थाएं प्रदेश में सफाई का ढिंढोरा पीटकर फोटो खिंचवाने में माहिर हैं लेकिन थानों में महिला शौचालयों के निर्माण को लेकर किसी भी संस्था ने अब तक पहल नहीं की। लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट में 24 ऐसे थानें हैं जहां पर महिला पुलिस कर्मियों के लिए महिला शौचालय नहीं है। हजरतगंज कोतवाली जोकि विधान भवन के पास ही है में भी महिला शौचालय नहीं है। महिला पुलिस कर्मियों तथा महिला वादकारियों के लिए महिला शौचालय थानों में न होने से खुले में जाने को मजबूर होना पड़ता है। स्कूलों के आसपास न हों सिगरेट पान गुटखे की दुकानें एक अन्य सूचना में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित सभी जनपदों में विद्यालय परिसर के आस-पास सिगरेट, पान, गुटखा के विक्रय की दुकानें धड़ल्ले के साथ चल रही है। ऐसी सभी दुकानों को विद्यालय से एक निश्चित दूरी पर होना चाहिए। शिक्षा विभाग छात्रों को नशे से दूर रखने के लिए नशामुक्त अभियान चलाता रहता है किन्तु विद्यालय परिसर के पास की ऐसी दुकानों को संचालन पर रोक नहीं लगा पाता। स्कूल परिसर के पास सड़कों के किनारे इस तरह की प्रतिबंधित दुकाने बेखौफ संचालित की जा रही है जहां पर छात्रों को सिगरेट पान-मसाले लेते देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने अपने-अपने राज्यों के स्कूल के आस-पास एक निश्चित दूरी तक सिगरेट, पान, गुटखा की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है। प्रशासनिक बैठकों में इस गम्भीर विषय पर अनेकों बार इस पर प्रतिबंध लगाने पर नियम बनाए गये लेकिन वह कागजों पर ही सीमित होकर रह गये। छात्रों को ऐसे नशे से बचाने के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे जिससे छात्रों को पान, सिगरेट आदि के नशे से बचाया जा सके। इस पर उन्होंने सरकार से वक्तव्य की मांग की।