अयोध्या रोड पर स्थित पार्श्वनाथ सिटी में स्प्रिंग बिल्डर से चल रहे रास्ते के विवाद की जांच एलडीए टीम करने पहुंची। महिलाओं ने अधिकारियों के गाड़ियों को 10 मिनट तक रोक कर अपनी बात रखी है। सोसायटी के लोगों का आरोप है कि बिल्डर के साथ मिलीभगत कर कुछ एलडीए कर्मचारी काम कर रहे। मामले का समाधान कराने की मांग
एलडीए के चीफ टाउन प्लानर (चीफ टाउन प्लानर)केके गौतम और कुछ अधिकारियों की एक टीम शुक्रवार की शाम लगभग छह बजे पार्श्वनाथ सिटी पहुंची। वहां स्प्रिंग बिल्डर से चल रहे रास्ते के विवाद को लेकर जांच करने लगे। कुछ ही देर में वहां से जाने लगी। इसकी जानकारी मिलते ही वहां पार्श्वनाथ सिटी के 50-60 निवासी जुट गए, जिसमें महिलाएं भी शामिल रहीं। पहले तो लोगों ने शाम के अंधेरे में जांच के लिए आने को लेकर आपत्ति जताई। उसके बाद महिलाएं अधिकारियों के वाहन के आगे खड़ी हो गईं। इस दौरान लोग आरोप लगाने लगे कि एलडीए अधिकारी स्प्रिंग बिल्डर के पक्ष में काम कर रहे। मामला मौके पर ही सुलझाने की बात करते हुए महिलाओं ने वाहन को रोक लिया। कहा कि जब तक हल नहीं निकलेगा, हम यहां से जाने नहीं देंगे। इस पर सीटीपी ने उन्हें समझाने की कोशिश की। कहा कि रास्ते को लेकर आपके विरोध पर कमिश्नर ने एक कमेटी बनाई है। उसी के तहत हम यहां मामले की जांच को लेकर आए हैं, इसके अलावा और कुछ नहीं है। इस पर भी महिलाएं उनकी सुनने को तैयार नहीं हुई। करीब 10-15 तक वह वाहन को रोके खड़ी रहीं। कॉलोनी के ही कुछ लोगों के समझाने पर वह मान गईं और एलडीए अधिकारियों को जाने दिया। लोगों का दावा ले आउट के मुताबिक नहीं सड़क का मानक सोसाटी के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष कुंवर सिंह ने कहा कि लोगों को आशंका है कि बिल्डर की जमीन के लिए प्राधिकरण के अधिकारी सोसायटी से रास्ता देना चाहते हैं। बगल में स्प्रिंग बिल्डर की लगभग 10,300 वर्ग मीटर जमीन है। आशंका है कि उसमें ही घालमेल की कोशिश की जा रही है। वहां पर नक्शा में एलडीए ने 7.5 मीटर रोड पास किया है। जबकि, वास्तव में सड़क 6.4 मीटर ही है। वहीं, एलडीए के चीफ टाउन प्लानर केके गौतम ने कहा कि पार्श्वनाथ सोसायटी के लोगों और पास में ही स्प्रिंग बिल्डर के बीच रास्ते को लेकर विवाद चल रहा है। कमिश्नर के निर्देश पर इस मामले की जांच करने के लिए शुक्रवार की शाम को वहां गए थे। वहां की महिलाओं को लगा कि हम उनके खिलाफ हैं। इस पर वह वाहन के आगे खड़ी होकर अपना पक्ष रखने लगीं। जब उन्हें बताया कि जांच निष्पक्ष होगी तब वह मान गईं और वाहन के आगे से हट गईं। घेराव जैसी कोई बात नहीं।