PWD अफसरों की लापरवाही, गूगल मैप पर दिखाए गए क्लियर रूट की वजह से 24 नवंबर को कार सवार तीन युवकों की पुल से गिरकर मौत हो गई थी। 3 मौतों के बाद शासन ने मॉडल स्टडी के लिए 29.5 लाख स्वीकृत कर दिए है। शनिवार को शासनादेश जारी हो गया है और एक-दो दिन में धन भी आ जाएगा। इसके बाद आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की टीम यहां आकर सर्वे करेगी और एक महीने में अपनी सर्वे रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद यह तय होगा कि वहां पर पुल बनेगा या एप्रोच रोड तैयार होगी। 700 मीटर लंबे पुल को सेतु निगम ने 2021 में किया था हैंडओवर फरीदपुर-दातागंज बदायूं को जोड़ने वाले रामगंगा नदी मूढ़ा-पुख्ता में पुल निर्माण के सर्वे के लिए शासन ने 29.5 लाख रुपये की स्वीकृति दे दी। आईआईटी रुढ़की के विशेषज्ञ के सर्वे में निकल कर आएगा कि पुल की लंबाई बढ़ाई जाए या एप्रोच रोड बनाया जाए। अधिकारियों के अनुसार आईआईटी रुढ़की के विशेषज्ञ एक माह में सर्वे कर रिपोर्ट उपलब्ध कराएंगे। बदायूं के खल्लपुर-मूढ़ा में 700 मीटर लंबे पुल के अप्रोच रोड के कटने से 24 नवंबर को कार हादसे में तीन लोगों की मृत्यु हो गई थी। घटना के बाद मुख्य अभियंता अजय कुमार ने अधीक्षण अभियंता के के सिंह की जांच रिपोर्ट पर एक्सईएन बदायूं समेत पांच अभियंताओं के विरूद्ध कार्रवाई की संस्तुति की। साथ ही हाइड्रोलिक माडल स्टडी के लिए शासन से अविलंब धन की स्वीकृति देने की अपील की। शनिवार को शासन ने पुल की लंबाई बढ़ाई जाए या एप्रोच रोड का निर्माण किया जाए इसके लिए हाइड्रोलिक माडल स्टडी को 29.5 लाख स्वीकृत कर दीये। चीफ इंजीनियर अजय कुमार के अनुसार आगामी एक से दो दिन में धन जारी होते ही आईआईटी रुढ़की के विशेषज्ञों की टीम के जरिए स्टडी शुरु कर दी जाएगी। जाने क्या है पूरा मामला टूटा पुल…गूगल मैप पर क्लियर रूट और प्रशासन की लापरवाही से 3 जिंदगियां खत्म हो गईं। बरेली में गूगल के क्षेत्रीय प्रबंधक और PWD के 4 अफसरों पर FIR दर्ज की गई। 24 नवंबर को गूगल मैप के सहारे फर्रुखाबाद के दो भाई और उनके दोस्त बदायूं में इस पुल पर पहुंचे।
उन्हें बरेली में एक शादी फंक्शन में शामिल होना था। पुल बीच से टूटा हुआ था। कार 50 फीट नीचे रामगंगा नदी में गिर गई। गूगल लोकेशन लगाकर शादी में जा रहे तीनों लोगों मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए। पुल टूटा हुआ था तो रास्ता बंद क्यों नहीं किया गया? यहां चेतावनी बोर्ड क्यों नहीं लगाए गए? इस पुल से गाड़ी कितनी स्पीड से गिरी होगी? इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए दैनिक भास्कर की टीम स्पॉट पर पहुंची। गूगल मैप ने टूटे पुल का रास्ता दिखाया… 24 नवंबर को फर्रुखाबाद के दो भाई अजित और नितिन अपने दोस्त अमित के साथ गाजियाबाद से बरेली दोस्त की शादी में जा रहे थे। बरेली से जब फरीदपुर की तरफ बढ़े तो गूगल मैप का सहारा लिया। गूगल मैप ने रामगंगा नदी पर बने बदायूं की दातागंज तहसील और बरेली की फरीदपुर तहसील को जोड़ने वाले पुल का रास्ता दिखाया। इन लोगों ने पुल पर गाड़ी चढ़ा दी। सुबह का समय था, पूरी तरह उजाला भी नहीं हुआ था। गाड़ी अभी 30 मीटर ही चली होगी कि ड्राइवर को एहसास हो गया कि आगे पुल टूटा है। उसने ब्रेक लगाने की पूरी कोशिश की, लेकिन कार घिसटती हुई रामगंगा नदी में जा गिरी। मौके पर ही तीनों युवकों की मौत हो गई। घटना के बाद गूगल ने मैप को सही किया बरेली जिला मुख्यालय से 65 किमी. दूर मूढ़ा में बने उस पुल तक पहुंचने के लिए भास्कर टीम कार से रवाना हुई। गूगल मैप को फॉलो करते हुए 50 से 60 किमी की रफ्तार से टीम आगे बढ़ने लगी। दातागंज इलाके से फरीदपुर का रूट क्लियर दिखा। पुल से करीब 200 मीटर पहले अचानक मैप पर रास्ता ब्लॉक दिखाने लगा। दरअसल, घटना के करीब 24 घंटे बाद गूगल मैप ने इस रूट के मैप को करेक्ट कर लिया है। अब टूटे हुए पुल की तरफ जाने वाली रोड नहीं दिख रही।
भास्कर रिपोर्टर गूगल नेविगेशन पर पुल का रास्ता देख रहे थे। 200 मीटर पहले रास्ता ब्लॉक बताया।
PWD यहां दीवार बना रहा, मजदूर बोले- खतरे का बोर्ड भी लगेगा भास्कर टीम पुल के पास तक पहुंची। कार खड़ी की और पैदल ही पुल के ऊपर की तरफ चल दिए। यहां नए सिरे से बैरिकेडिंग लगाई गई थी। पुल पर कुछ मजदूर दीवार बना रहे थे। हमने पूछा कि क्या बना रहे हैं? उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने मजबूत दीवार बनाकर पुल ब्लॉक करने के लिए कहा है। हमने पूछा- किस विभाग के अधिकारियों ने कहा। जवाब मिला– PWD के…। उन्होंने बताया कि यहां बोर्ड भी लगेंगे, जिस पर खतरे का निशान और चेतावनी लिखी होगी। पुल पर चलते हुए भास्कर टीम उस स्पॉट पर पहुंची। जहां पुल का अधूरा हिस्सा खत्म होता है। यहां से करीब 50 फीट नीचे नदी थी। सड़क पर करीब 15 मीटर तक टायर घिसटने के निशान थे। ऐसा अनुमान है कि कार की स्पीड करीब 70 से 80 kmph रही होगी। देखने से ऐसा लगा कि ड्राइवर ने ऐन मौके पर पूरी ताकत से ब्रेक लगाया, लेकिन पुल के आखिरी हिस्से से नीचे गिरने से बचा नहीं सका। घटना के 2 दिन बाद भी कार नीचे पड़ी दिख रही थी। रामगंगा नदी की रेत पर कार के हिस्से और सामान भी बिखरे पड़े हैं।
भास्कर रिपोर्टर को 15 मीटर तक कार के टायर घिसटने के निशान भी दिखे। जाहिर है कि ड्राइवर ने हादसा बचाने का पूरा प्रयास किया।
भास्कर टीम ने आस-पास के लोगों से बात की। लोगों ने जो कुछ बताया उससे हादसे के 2 बड़े कारण समझ आए… 2023 में रामगंगा नदी में बाढ़ आई तो बरेली की तरफ के पुल का आधा हिस्सा बह गया। एप्रोच रोड भी बह गई। लोगों ने बताया कि रोड की पायलिंग (रोड किनारे पत्थर का सपोर्ट) नहीं थी, वर्ना एप्रोच रोड नहीं बहती। अगर एप्रोच रोड होती तो गूगल नेविगेशन उस रूट पर ले जाता, हादसा न होता।
एक साल पहले जो पुल बह चुका था, गूगल मैप पर उसकी लोकेशन दिख रही थी। नतीजा ये हुआ कि जो रास्ता था ही नहीं, वो भी नेविगेशन पर क्लियर रूट में दिखता रहा।
अब पढ़िए लोगों ने क्या कुछ कहा… राजीव ने कहा- पुल टूटा तो नाव से जाना पड़ता है यहां अपनी पत्नी के साथ बाइक पर जा रहे राजीव कुमार मिलते हैं। वह कहते हैं- मैं अपने बच्चों को फरीदपुर दवा दिलवाने गया था। पुल टूटा हुआ है, इसलिए नाव से ही जाना पड़ता है। नाव से जाने का किराया भी देना पड़ता है। 2 दिन पहले हादसा हुआ है, अगर पुल होता तो हादसा नहीं होता। योगी जी से मांग है कि ये पुल जल्दी बनवा दें। राजेश ने कहा- एप्रोच रोड पर पाइलिंग नहीं की, वो बह गई यही कुछ दूरी पर हमें राजेश प्रताप मिले। वह कहते हैं- हादसे के लिए PWD के अधिकारी जिम्मेदार हैं। उन्होंने बैरिकेडिंग हादसे के बाद लगाए हैं, जो पहले लगाने चाहिए थे। यहां दो-तीन मोटर साइकिल पहले भी गिर चुकी हैं। उनका पता भी नहीं चला कि कहां के लोग थे, कौन थे। पिछले साल सावन में ये पुल बह गया था। अगर एप्रोच रोड पर पाइलिंग (पत्थर लगाए जाते) की जाती तो एप्रोच रोड नहीं बहती। ये हादसा भी नहीं होता।
भास्कर रिपोर्टर ने अलग-अलग लोगों से बात की। उन्होंने हादसे के लिए शासन को जिम्मेदार ठहराया।
लोग बोले- पुल टूटा तो समय पर बनना चाहिए था यहां कुछ दूरी पर 4 लड़के खड़े दिखे। पुल पर हुए हादसे को लेकर भास्कर ने उनसे भी सवाल किए। दीपक यादव और रवि बरेली के सीबीगंज के रहने वाले हैं। उनका कहना है- इस हादसे के लिए सरकार जिम्मेदार है। पुल टूटा था तो बनाना भी चाहिए था। अरेंद्र यादव का कहना है कि बरेली और बदायूं के लोगों के फायदे के लिए पुल बनाया था। अब यहां जानें जा रही हैं। PWD को पुल टूटने के बाद बैरियर लगाने चाहिए थे। बड़ी दीवार और पत्थर रखकर रास्ते को रोका जाना चाहिए था। यह सब 3 जान जाने के बाद किया जा रहा है। पुल नहीं होने की वजह से लोग फरीदपुर तक नाव से जाते हैं। PWD चीफ इंजीनियर ने रिपोर्ट शासन भेजी लोगों से बातचीत करने के बाद एक और कमी सामने आई। पुल की बरेली की साइड में जो एप्रोच रोड बनाई गई थी, उसमें पाइलिंग नहीं की गई थी। अगर पाइलिंग की जाती तो अप्रोच रोड नहीं बहती। वहीं, मंगलवार को PWD के चीफ इंजीनियर अजय कुमार ने रिपोर्ट शासन को भेज दी है। अब इन अफसरों को सस्पेंड किया जा सकता है।
हादसे के 2 दिन बाद भी कार वैसी ही रामगंगा नदी की रेती पर पड़ी दिखी। सामान बिखरा हुआ था।
हादसे के जिम्मेदार माने गए बदायूं PWD के अफसर मो. आरिफ, असिस्टेंट इंजीनियर
अभिषेक कुमार, असिस्टेंट इंजीनियर
अजय गंगवार, जूनियर इंजीनियर
महाराज सिंह, जूनियर इंजीनियर
इनके खिलाफ FIR दातागंज तहसील के नायब तहसीलदार छविराम की तरफ से लिखवाई गई। जो कुछ पुलिस रिकॉर्ड में आया, वो पढ़िए.. दातागंज इलाके में गांव समरेर से फरीदपुर की तरफ जाने वाली सड़क (एप्रोच रोड) पूरी तरह से कटी हुई है। इसके कट जाने के बाद लोक निर्माण विभाग के 2 असिस्टेंट इंजीनियर मो. आरिफ, अभिषेक कुमार और दो जूनियर इंजीनियर अजय गंगवार और महाराज सिंह को मालूम था कि लोग पुल के रास्ते जा सकते हैं, बड़ी घटना घट सकती है। इन अधिकारियों ने जानबूझकर पुल के दोनों तरफ मजबूत बैरिकेडिंग नहीं लगवाई। रोड के कटे होने के संकेतक और रिफ्लेक्टर भी नहीं लगवाए। इस पुल पर पहले एक पतली दीवार थी, जिसे किसी ने तोड़ दिया था। यहां कोई अवरोध नहीं होने पर गूगल मैप ने इसको सही रास्ता दिखाया। 24 नवंबर 2024 को कार सवार 3 लोगों की नदी में गिरकर मौत हो गई। लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों के साथ गूगल के क्षेत्रीय प्रबंधक और अज्ञात ग्रामीणों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। अब पुल के निर्माण को लेकर जरूरी फैक्ट जानिए… बरेली के फरीदपुर और दातागंज को जोड़ने के लिए PWD ने 2017 में पुल का काम शुरू किया। 5 साल में पुल बनकर तैयार हुआ। 2023 में पुल को लोगों के लिए ओपन किया गया। बरेली और बदायूं, दोनों तरफ से एप्रोच रोड बना दी गई। पुल पर वाहन चलने लगे। जुलाई 2023 की बारिश के सीजन में रामगंगा नदी का जलस्तर बढ़ा। तब पुल का आधा हिस्सा बह गया। बरेली की तरफ से एप्रोच रोड भी बह गई। तब से लेकर अभी तक इस पुल की एप्रोच रोड को नहीं बनाया गया।