राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी हुई। प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ हिन्दी तिथि के अनुसार पौष शुक्ल द्वादशी तदनुसार 11 जनवरी को मनाई जाएगी। तीर्थ क्षेत्र ने इस वर्षगांठ का नामकरण भी प्रतिष्ठा -द्वादशी के रूप में कर दिया है। इसी नामकरण के साथ भविष्य में भी उत्सव का आयोजन किया जाएगा। उधर यह एक संयोग भी है कि 22/23 दिसम्बर 1949 को विराजमान रामलला के प्राकट्य की तिथि भी पौष शुक्ल तृतीया है। इसी तिथि के लिहाज से श्रीराम जन्मभूमि सेवा समिति के तत्वावधान में 75 वां प्राकट्योत्सव पिछले साल मनाया गया था। यह उत्सव भी तीन दिवसीय ही निर्धारित था। जगद्गुरु माध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्न तीर्थ की अध्यक्षता में कमेटी तय करेगी रुपरेखा फिलहाल तीर्थ क्षेत्र ने 11 जनवरी 2025 को प्रतिष्ठा- द्वादशी के उत्सव पर तीन दिवसीय आयोजन का निर्णय लिया है। इस उत्सव को भविष्य में साप्ताहिक भी किया जा सकता है। इस बीच यह तय नहीं है कि प्रतिष्ठा- द्वादशी का उत्सव दो पूर्व से शुरू होगा अथवा मुख्य पर्व के बाद अगले दो दिनों तक होगा। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के न्यासी डा अनिल मिश्र के अनुसार “संभावना दो दिन पूर्व से आयोजन शुरू होने की है लेकिन अभी विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श चल रहा है। इस आयोजन के कार्यक्रमों की रुपरेखा निर्धारण के लिए पेजावर मठ पीठाधीश्वर जगद्गुरु माध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्न तीर्थ के नेतृत्व में चार सदस्यीय कमेटी गठित की गयी है। इस कमेटी में तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय के साथ कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि भी शामिल हैं। पहली वर्षगांठ को अविस्मरणीय बनाने पर चिंतन तीर्थ क्षेत्र के न्यासी डा अनिल मिश्र कहते हैं कि प्रतिष्ठा -द्वादशी को अविस्मरणीय बनाने की योजना पर चिंतन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का सवाल है तो स्वाभाविक तौर पर विविध ग्रंथों का पारायण व हवन-पूजन एवं अभिषेक इत्यादि अनुष्ठान होंगे ही। इसके अलावा भी समाज को उत्सव से जोड़ने के लिए भी अलग-अलग कार्यक्रमों पर विचार किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों में संत-महंतो को लेकर अलग चिंतन हो रहा है तो श्रद्धालुओं व रामभक्तों की दृष्टि से भी विमर्श किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में अयोध्या वासियों सहित जनपद वासियों की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित हो। इन सभी पहलुओं पर समग्रता में योजनाओं का निर्धारण किया जा रहा है।