इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज, अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर, प्रयागराज एवं डिप्टी पुलिस कमिश्नर, गंगापार, प्रयागराज को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब तलब किया है। याचिका स्वीकार करते हुए तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक, नवाबगंज प्रयागराज यशपाल सिंह के खिलाफ पारित परिनिंदा प्रविष्टि का दंडादेश अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया है। कोर्ट ने यह भी आदेशित किया है कि उक्त परिनिंदा प्रविष्टि अग्रिम आदेशों तक प्रभावी नहीं होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक, नवाबगंज यशपाल सिंह की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अतिप्रिया गौतम की बहस सुनकर पारित किया। यह था पूरा मामला याची यशपाल सिंह प्रभारी निरीक्षक नवाबगंज प्रयागराज में नियुक्त था। उसे एक ही घटना के संबंध में अलग अलग विवेचनात्मक कार्यवाही कर अलग-अलग धाराओं में आरोप पत्र दाखिल करने के संबंध में दोषी पाया गया। याची द्वारा प्रचलित विवेचनाओं का गहनता पूर्वक पर्यवेक्षण नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याची प्रभारी निरीक्षक था। उसकी भूमिका मामूली है जिस पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिये। इसके अलावा दंडाधिकारी ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि किसी मामले में आरोप पत्र सर्किल ऑफिसर के माध्यम से न्यायालय में जायेगा। जांच में सर्किल ऑफिसर को नहीं मिला कोई दोष सर्किल ऑफिसर ने भी इस मामले में जांच में कोई दोष नहीं पाया। इसके बजाय अनुशासनिक प्राधिकारी ने यह टिप्पणी की है कि याची का स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं हैं, जिसके आधार पर उसे दोषमुक्त किया जा सके। पुलिस उपायुक्त जिन्होंने अनुशासनात्मक प्राधिकारी के रूप में कार्य किया है, उन्होंने आदेश पारित करने में विवेक का प्रयोग नहीं किया। कम से कम पर्याप्त विवरण के साथ कोई ठोस कारण दिया जाना चाहिये था। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला स्वीकार करने योग्य है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा नियम व कानून का पालन नहीं किया गया है तथा दंडादेश नियम व कानून तथा विधि की व्यवस्था के सिद्धान्तों के विपरीत है। हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए पुलिस के आला अधिकारियों को नोटिस जारी किया है तथा उनसे दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
