विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति वाराणसी के तत्वाधान मे वाराणसी के समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों ने एकजुट होकर बिजली के निजीकरण के फैसले का विरोध किया। रात में हनुमान मंदिर के प्रांगण में आयोजित सभा में उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने का संकल्प लिया। इसके साथ ही, ऊर्जा प्रबंधन की विफलता के कारण हो रही पावर कारपोरेशन की दुर्दशा को दूर करने के लिए संघर्ष समिति को जिम्मेदारी सौंपने की अपील ऊर्जा मंत्री से की। मांग न पूरी होने पर तत्काल आंदोलन की चेतावनी दी मायाशंकर तिवारी ने कहा – आज देशभर के बिजली कर्मचारियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में भी बिजली के निजीकरण के विरोध में 27 लाख बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतरे। बिजली कर्मचारियों ने मांग की, कि उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाए। कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण की कोई भी एकतरफा कार्रवाई शुरू की गई, तो वे तत्काल आंदोलन शुरू करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार और पावर कारपोरेशन प्रबंधन की होगी। ऊर्जा मंत्री के बयान पर जताई नाराजगी ई. नरेंद्र वर्मा ने कहा – संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने ऊर्जा मंत्री द्वारा बिजली कर्मचारियों पर बिजली चोरी कराने के आरोपों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि एक ओर ऊर्जा मंत्री यह दावा कर रहे हैं कि उनके कार्यकाल में ऊर्जा क्षेत्र में सुधार हुआ है, वहीं दूसरी ओर बिजली व्यवस्था के पटरी से उतरने और कर्मचारियों द्वारा चोरी कराने की बात कह रहे हैं। संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री की कथित विफलता के लिए पावर कारपोरेशन प्रबंधन और ऊर्जा मंत्री को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यदि वे बिजली व्यवस्था को संभाल नहीं पा रहे हैं तो उन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए। निजीकरण होने से जनता को भी होगी परेशानी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के महामंत्री जितेंद्र सिंह गुर्जर ने कहा कि निजीकरण से सबसे बड़ी चोट उपभोक्ताओं पर पड़ने वाली है। मुम्बई में टाटा पावर और अदानी पॉवर काम करती हैं। मुम्बई में घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली की दरें 17-18 रुपए प्रति यूनिट है। उप्र में घरेलू उपभोक्ताओं की अधिकतम बिजली दर रु 06.50 प्रति यूनिट है। स्पष्ट है कि निजीकरण होते उप्र में किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दर तत्काल 10 रु प्रति यूनिट या अधिक हो जाएगा।