बुलंदशहर शहर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अनिल कुमार शाही, गुलावठी कोतवाल सुनीता मलिक समेत पांच कोतवाली प्रभारी पर बुलंदशहर की अदालत द्वारा 55/2011 राज्य बनाम हम्माद आदि केस में प्रभारी पैरवी नहीं करने पर 99 रूपये का आर्थिक अर्थदंड लगाने के बाद गुलावठी के अधिकतर आईओ के कान खड़े हो गए और वो लंबित वादों की फाइल खंगालकर दुरूस्त करने में जुट गए हैं। इस अर्थदंड लगने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। य99 रूपये आम आदमी के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, अलबत्ता एक अधिकारी की तनख्वाह से 99 रूपये की छोटी सी रकम अर्थदंड के रूप में कटना भी अधिकारी की सर्विस बुक पर अंकित हो सकता है। एडीजे चतुर्थ के न्यायालय ने प्रभावी पैरवी न करने पर गुलावठी समेत छह थानों के चार इंस्पेक्टर और दो सब-इंस्पेक्टर तथा एक आरक्षी पर भी 99-99 रूपये का आर्थिक दंड लगाया है। न्यायालय ने कोषागार को संबंधित पुलिस अधिकारियों के वेतन से आर्थिक दंड के 99 रूपये काटकर राजकोष में जमा करने के आदेश दिए हैं। बुलंदशहर कोतवाली इंस्पेक्टर अनिल कुमार शाही पर दो केस में लगा अर्थदंड
बुलंदशहर कोतवाली के निरीक्षक अनिल कुमार शाही पर 1126/24 राज्य बनाम रिहान और 1688/22 राज्य बनाम हसन, दोनों केस में प्रभारी पैरवी न करने पर 99-99 रूपये का अर्थदंड कोर्ट ने लगाया है। कोतवाली देहात, औरंगाबाद, छतारी के पुलिस अधिकारियों पर लगा अर्थदंड
इसके अलावा औरंगाबाद के एसआई नितिश भारद्वाज पर 1748/23 राज्य बनाम हिमांशु केस में, छतारी के एसआई संदीप कुमार पर 1183/21 राज्य बनाम मनीष केस में, कोतवाली देहात के इंस्पेक्टर शैलेंद्र प्रताप पर 325/2014 राज्य बनाम आफाक केस तो कोतवाली देहात के ही आरक्षी आदित्यराज सिंह पर 325/2014 राज्य बनाम आफाक केस में 99 रूपये के अर्थदंड कोर्ट ने लगाए हैं। अपराधों पर अंकुश लगाने को कई बार गश्तयों तो जब से सुनीता मलिक गुलावठी आई हैं, तब से वो कानून व्यवस्था सुधारने के लिए ही गुलावठी में कई-कई बार गश्त कर रही हैं, जिससे अपराधों में कमी तो आई है और इसी के लिए वो क्षेत्र में सम्मान की दृष्टि से भी देखी जा रही हैं, लेकिन इस आर्थिक अर्थदंड लगने से स्थानीय पुलिस अधिकारियों में भी अब वादों को जल्द निपटाने की पैरवी की जा सकती है।