कानपुर के चौक सर्राफा में ऐसा शिव मंदिर है, जहां लोग कोर्ट कचहरी और मुकदमे में अपनी जीत की अर्जी लगाते हैं। यह मंदिर शहर के बीचों-बीच घनी आबादी में बना हुआ है। यहां रहने वाले बताते हैं, कि मंदिर का निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था। मंदिर के स्थान पर अंग्रेजों की कोतवाली थी, जिस कारण मंदिर का नाम कोतवालेश्वर मंदिर पड़ा। भक्तों की ऐसी आस्था है, कि कोतवालेश्वर मंदिर में मुकदमों और कोर्ट कचहरी से जुड़ी मान्यता पूरी होती हैं। 1937 में मंदिर का हुआ था निर्माण कानपुर शहर के चौक सर्राफा स्थित कोतवालेश्वर मंदिर का निर्माण 1937 में हुआ था, उस दौरान मंदिर के स्थान पर अंग्रेजों की कोतवाली हुआ करती थी। मंदिर के पुजारी नैतिक गिरी ने बताया कि उनकी तीसरी पीढ़ी मंदिर की सेवा कर रही है। पुजारी के मुताबिक उनके बाबा महादेव गिरी को स्वप्न आया था। अंग्रेजों की कोतवाली पर पड़ा नाम जिसके बाद महादेव गिरी ने कुछ साथियों के साथ अंग्रेजों से मंदिर निर्माण के लिए अनुमति मांगी, जिस पर अंग्रेजों ने मात्र 2 गज स्थान दिया था। अंग्रेजों के जाने के बाद इस मंदिर को बड़े रूप में स्थापित किया गया। कोतवाली होने के कारण इस मंदिर का नाम कोतवालेश्वर पड़ गया। ऋषिकेश से अर्जी लगाने आए भक्त कोतवालेश्वर मंदिर में ऋषिकेश से आए सुरेश गुप्ता ने बताया कि उनका कोर्ट में मुकदमा विचाराधीन है, मंदिर के बारे में लंबे अर्से से सुनते आ रहे है, जिसके बाद वह अर्जी लगाने मंदिर पहुंचे। उन्होंने बताया कि मनोकामना पूरी करने के लिए उन्होंने मंदिर की पदयात्रा भी की। केस जीतने के लिए वकील टेकते माथा कोतवालेश्वर मंदिर के पुजारी नैतिक गिरि ने बताया कि मंदिर में दूरदराज के शहरों से भी भक्त आते हैं। मंदिर में शहर के अधिकांश अधिवक्ता महादेव से जीत का आर्शीवाद लेकर केस लड़ने जाते हैं।
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