बरेली के किला थाना क्षेत्र के कटघर में स्थित 250 साल प्राचीन ऐतिहासिक श्री गंगा महारानी मंदिर को चौकीदार वाहिद अली से कब्जा मुक्त करवा दिया गया है, लेकिन उसके बावजूद मंदिर में पूजा अर्चना अभी तक शुरू नहीं हो सकी है। जिसकी वजह उसके स्वामित्व को लेकर आ गई है। मंदिर के स्वामित्व को लेकर प्रशासन को फैसला करना है। हालांकि श्री गंगा महारानी मंदिर के वंशज राकेश सिंह ने सभी डाक्यूमेंट्स जिलाधिकारी कार्यालय में जमा करवा दिए हैं। अब उसको लेकर जिला प्रशासन को फैसला लेना है। मंगलवार से मंदिर के बाहर होगा धरना प्रदर्शन इस बीच हिंदू संगठनों में जहां एक और मंदिर को कब्जा मुक्त होने की खुशी है तो वहीं दूसरी ओर मंदिर को सील करने पर नाराजगी भी है। हिंदू संगठनों का कहना है कि 250 साल बाद यह मंदिर मुसलमानों के चंगुल से कब्जा मुक्त हुआ। जिसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिला प्रशासन का बहुत-बहुत धन्यवाद है। लेकिन अब मंदिर को सील कर दिया गया है यह जायज नहीं है। ऐसे में तमाम हिंदू संगठन एक हो गए हैं और उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि अगर सोमवार को मंदिर से सील नहीं हटाई गई तो हम लोग मंगलवार से मंदिर के बाहर धरना प्रदर्शन देंगे। जिसमें सभी हिंदू संगठन शामिल होंगे। मंदिर के बाहर भजन कीर्तन, सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा का पाठ शुरू हो जाएगा। अनिश्चितकालीन धरना शुरू हो जाएगा। सहकारिता विभाग ने दो कमरे के रखे यह किराए पर दरअसल मंदिर पर सहकारिता विभाग का एक ऑफिस था। जिसमें दो कमरों का गोदाम बनाया गया था। उसमें खाद रखी जाती थी। 2 साल पहले सहकारिता विभाग का अपना सरकारी भवन तैयार हो गया। जिसके बाद वह दफ्तर खाली कर दिया गया था। खाद गोदाम की रखवाली के लिए एक प्राइवेट चौकीदार वाहिद अली रखा गया था। उसने अपने परिवार को भी साथ रख लिया। धीरे धीरे समय बीतता गया और चौकीदार ने मंदिर के अंदर हिंदुओं की एंट्री बंद कर दी। उसके बाद उसने मंदिर से सभी मूर्तियों को भी हटा दिया। 40 साल तक वाहिद अली इस मंदिर में रह रहा था। धीरे धीरे उसने अपना स्वामित्व बनाने की कोशिश की। वाहिद अली से कई बार उस जगह को खाली करने को कहा गया लेकिन उसने खाली नहीं किया। शुक्रवार को मंदिर हुआ कब्जामुक्त जिला प्रशासन ने शुक्रवार को वाहिद अली के कब्जे से इस मंदिर को कब्जामुक्त कराया। मंदिर वाहिद अली के कब्जे से मुक्त जरूर हो गया, लेकिन अभी तक उसमें पूजा पाठ शुरू नहीं हो सकी है। श्री गंगा महारानी मंदिर में पूरा शिव परिवार था। जिसमें दूधिया रंग का शिवलिंग था, चांदी की चरण पादुका थी, गंगा महारानी की मूर्ति थी। वाहिद अली ने सभी मूर्तियों को वहां से हटा दिया और मंदिर का नामोनिशान मिटाने की कोशिश की। वाहिद अली ने रची थी साजिश वाहिद अली ने मंदिर पर कब्जे की पूरी योजना बना रखी थी। उसने नगर निगम की हाउस टैक्स और वॉटर टैक्स की फर्जी रसीदें भी बना रखी थी। इसके अलावा फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए उसने बिजली का कनेक्शन भी ले रखा था। उसने 2 किलोवाट का बिजली कनेक्शन ले रखा था और दो एसी भी लगा रखे थे। वाहिद अली अपने पूरे परिवार के साथ उस मंदिर में रहता था। उसकी पूरी कोशिश थी कि इन दस्तावेजों के जरिए साबित कर दे कि यह कभी मंदिर था ही नहीं। और वो जगह मेरी है। डीएम से मिलेंगे हिंदू संगठन वहीं सोमवार को तमाम हिंदू संगठन बरेली के डीएम से मिलेंगे। उनको ज्ञापन देंगे। उनसे मांग करेंगे कि इस मंदिर को खुलवा दिया जाए और पूजा पाठ शुरू हो। अन्यथा सभी हिंदू संगठन सड़कों पर उतरेंगे और प्रदर्शन करेंगे। हिंदू संगठनों का कहना है कि जिला प्रशासन को सोमवार तक का समय दिया जा रहा है। मंगलवार से सभी हिंदू संगठन मंदिर के बाहर पूजा अर्चना करेंगे। सुंदरकांड का पाठ करेंगे भजन कीर्तन करेंगे। वह जिला प्रशासन ने लगाए सीसीटीवी कैमरे वही मंदिर के बाहर जिला प्रशासन ने सीसीटीवी कैमरे लगा दिए हैं। पुलिस को तैनात कर दिया गया है, ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके। दरअसल जिस इलाके में मंदिर है वह मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। ऐसे में वहां पर किसी भी प्रकार का कोई खुराफात ना हो। कोई खुराफाती माहौल को खराब ना कर दे। जिसको लेकर पुलिस प्रशासन कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहता। यही कारण है कि मंदिर पर सीसीटीवी कैमरे से हर वक्त निगरानी की जा रही है।