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युवाओं में तेजी से बढ़ रहा कोलोरेक्टल कैंसर:लाइफ स्टाइल और जेनेटिक में बदलाव कारण, एक्सपर्ट्स भी हैरान

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लाइफस्टाइल में आया बदलाव कैंसर के मामलों में आई तेजी का बड़ा कारण हैं। यूपी के सबसे बड़े चिकित्सा विश्वविद्यालय, KGMU के कैंसर एक्सपर्ट्स कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में आई तेजी को लेकर बेहद हैरत में है। उनका कहना है कि हाल के कुछ वर्षों में इसके मामलों में अचानक से तेजी देखी जा रही है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ज्यादातर मामले बेहद कम उम्र की युवाओं में मिल रहे हैं। गंभीर बात यह है कि इनमें बड़ी संख्या ऐसे मामलों की है जो एडवांस्ड स्टेज में पहुंचने के बाद ही सामने आते हैं। ऐसे में कैंसर को लेकर लापरवाही, हिचक या संकोच जानलेवा साबित होती है। लास्ट स्टेज में अस्पताल का रुख KGMU के जनरल सर्जरी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर और कैंसर एक्सपर्ट प्रोफेसर गीतिका नंदा सिंह कहती हैं कि कोलोरेक्टल कैंसर के मामले स्टेज 3 या स्टेज 4 कंडीशन में पहुंचने के बाद सामने आ रहे हैं। ऐसे में मरीज के चेकअप के बाद ऑपरेशन या कीमोथेरेपी या फिर दोनों का उपयोग कर इलाज किया जाता है। ब्रेस्ट, सर्वाइकल के बाद गॉल ब्लेडर का खतरा प्रो.गीतिका नंदा कहती हैं कि बीते दशक में यूपी में कैंसर के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के अलावा गॉल ब्लैडर कैंसर से जुड़े केस भी सामने आ रहे हैं। ऐसे में फोकस न केवल ट्रीटमेंट पर होना चाहिए साथ ही साथ बचाव और स्क्रीनिंग को लेकर भी बेहद अलर्टनेस जरूरी है। जेनेटिक कारणों से भी हो रहा कैंसर प्रो. गीतिका कहती है कि कैंसर के कुछ मामले जेनेटिक कारणों से हो सकते हैं। एसएमएस जिनके घरों में या फैमिली में पहले से कैंसर की हिस्ट्री रही है। उन्हें बेहद अलर्ट रहना होगा। बेहतर है कि ऐसे लोग खुद से प्रो एक्टिव अप्रोच लेकर कैंसर की स्क्रीनिंग की जानकारी रखें। कैंसर को लेकर किसी भी तरह की गलत फहमी न पाले और न ही लापरवाही बरतें। रेगुलर जांच बेहद जरूरी प्रोफेसर गीतिका कहती है कि महिला और पुरुष को सभी को अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक रहना चाहिए। सतर्कता बढ़ने से कैंसर जैसे कई अन्य गंभीर जानलेवा रोगों से बचा जा सकता है। अब जान लीजिए, कितने तरह के कैंसर रोगी पहुंच रहे KGMU के जनरल सर्जरी विभाग में… ओरल केविटी कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज प्रो.गीतिका कहती है कि इनमें से सबसे ज्यादा मोर्टेलिटी रेट पैंक्रियास के कैंसर मरीजों की है। हालांकि यदि समय से इसका इलाज शुरू किया जाए तो मरीज की जान जरूर बचाई जा सकती हैं। वहीं, थाइरॉयड कैंसर के ज्यादातर मरीजों की जान बच जाती है। महिलाओं में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं, वहीं, पुरुषों में ओरल कैविटी कैंसर के केस ज्यादा है। पर ये समझना होगा कि कैंसर कोई भी हो पर यदि समय से इलाज शुरू किया जाए, तो रिकवरी के चांस सबसे ज्यादा है।

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