राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने आउटसोर्स कर्मचारियों के भविष्य को लेकर चिंता जताई है। इसको लेकर प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन में आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा नियमावली बनाने और न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने की मांग उठाई गई। परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने 10 दिसंबर को यूपी के मुख्य सचिव से वार्ता कर प्रदेश में कार्यरत नौ लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मचारियों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया था। ज्ञापन में परिषद ने आउटसोर्स कर्मचारियों को चार श्रेणियों में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा है। अर्ध कुशल, कुशल, डिप्लोमा तकनीकी और डिग्री धारक। इसके अलावा, न्यूनतम मानदेय के रूप में 20235 और 5400 के ग्रेड पे में रखे जाने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए 84500 रुपए मासिक वेतन का प्रस्ताव दिया गया है। महामंत्री अरुणा शुक्ला ने बताया कि इस प्रस्ताव में आउटसोर्स कर्मचारियों की नियमावली को एक अप्रैल 2024 से प्रभावी करने और अर्ध कुशल, कुशल, कृषि, खनन, जन स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभागों के कर्मचारियों को लाभान्वित करने का सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही आउटसोर्स कर्मचारियों की चयन प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए चयन आयोग के गठन का प्रस्ताव भी किया गया है। अरुणा शुक्ला ने बताया कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक जनवरी के पहले सप्ताह में होगी। इसमें आउटसोर्स कर्मचारियों की न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने और सेवा नियमावली के प्रकाशन के बारे में चर्चा की जाएगी। इसके अलावा प्रदेश के सभी कर्मचारियों की समस्याओं पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। संयुक्त परिषद ने प्रदेश में सदस्यता अभियान की शुरुआत की है। इसमें सभी कर्मचारियों विशेषकर आउटसोर्स कर्मचारियों को जोड़ने का लक्ष्य है। इससे उनके हकों की रक्षा के लिए प्रभावी ढंग से संघर्ष किया जा सकेगा। परिषद ने सभी आउटसोर्स कर्मचारियों से एकजुट होकर परिषद का समर्थन करने की अपील की है।