प्रदेश में सावर्जनिक क्षेत्र के उपक्रम (पब्लिक अंडरटेकिंग यूनिट) भले ही आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रही हैं। इसके बाद भी खजाना लुटाने और वित्तीय अनियमितता में पीछे नहीं हैं। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने सीएजी रिपोर्ट गुरुवार को विधानसभा में पेश की। 31 मार्च 2022 तक यूपी में सीएजी के क्षेत्राधिकार के 114 राज्य पीएसयू हैं। इनमें 93 सरकारी कंपनियां, 15 सरकार नियंत्रित एवं अन्य कंपनियां, 6 स्टेटरी कॉर्पोरेशन और 42 बंद पड़े पीएसयू भी शामिल हैं। प्रदेश में कार्यशील 37 पीएसयू ने वर्ष 2021-22 में 76,189 करोड़ का सालाना टर्नओवर किया। उस साल यह यूपी की जीडीपी का 4.09 प्रतिशत के बराबर था। सीएजी रिपोर्ट में सामने आया है कि 29 सब स्टेशनों और बिजली की लाइनों का कार्य ठेकेदारों ने 5 से लेकर 129 सप्ताह देरी से पूरा किया। नियमानुसार विलंब से काम करने वाली फर्म के भुगतान से पेनल्टी की वसूली की जाती है। यूपीपीसीएल को ठेकेदारों के भुगतान से 63.39 करोड़ रुपए कटौती करनी थी। लेकिन वह वसूली नहीं की गई। 16 पीएसयू फायदे में, 21 घाटे में वर्ष 2021-22 में 37 में पीएसयू में से 16 पीएसयू ने 378.18 करोड़ का लाभ कमाया। वहीं, 21 पीएसयू को 15,856 करोड़ नुकसान हुआ। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने 142 करोड़ और उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद ने 105 करोड़ का लाभ कमाया। जबकि यूपीपीसीएल को 8305 करोड़, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि. को 2957 करोड़, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि. को 2042 करोड़ की हानि हुई थी। यूपीपीसीएल की नई विद्युत आपूर्ति परियोजनाओं के निर्माण और मौजूदा क्षमता में वृद्धि और प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए 2018-19 में 3735 करोड़, 2019-20 में 3975 करोड़ रुपए खर्च किया गया। इसी तरह 2020-21 में 3785 करोड़ और 2021-22 में 2729 करोड़ रुपए खर्च किया गया। सीएजी ने चार वित्तीय वर्ष में हुए खर्च की ऑडिट कर कई महत्वपूर्ण खामियां उजागर की हैं। सीएजी ने खुलासा किया है कि 400 केवी शामली-अलीगढ़ डीसी लाइन के निर्माण के लिए गए मूज कंडक्टर (पावर लाइन के लिए इस्तेमाल होने वाला कंडक्टर) ठेकेदार के पास पड़े रहने के कारण यूपीपीसीएल को 9.50 करोड़ का नुकसान हुआ। मैसर्स सिम्प्लेक्स इंफ्रास्ट्रक्चर लि. को 229.86 करोड़ रुपए में ठेका दिया गया था। ठेकेदार को 1837.198 किलोमीटर मूज कंडक्टर कंपनी की ओर से दिया गया। लेकिन कंपनी समय पर काम पूरा नहीं कर सकी। यूपीपीसीएल ने बाद में ठेकेदार तो बदल दिया लेकिन मैसर्स सिम्प्लेक्स इंफ्रा से 314.45 किलोमीटर कंडक्टर की वसूली नहीं की। इससे 9.50 करोड़ का नुकसान हुआ। कैग रिपोर्ट के मुताबिक 32 निर्माण कार्य में 28 सप्लायर्स ने मोटी रेत और पत्थर गिट्टी की आपूर्ति की। यूपीपीसीएल को सप्लायर्स के भुगतान से 2.01 करोड़ की रॉयल्टी वसूल कर सरकारी खजाने में जमा करानी थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ,नतीजन 2.01 करोड़ का नुकसान हुआ। जेपी स्पोर्ट्स को पहुंचाया फायदा सीएजी ने खुलासा किया है कि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि. ने छूट की अवधि समाप्त होने के बाद जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लि. के विद्युत बिलों में 3.94 करोड़ का बिजली शुल्क नहीं जोड़ा। इससे भी बड़े राजस्व की हानि हुई। सीएजी ने खुलासा किया कि नौ विद्युत उपकेंद्र बनाने के लिए ठेकेदारों को दो से लेकर 38 महीने तक जमीन विलंब से आवंटित की गई। डिस्कॉम ने जमीन का सीमांकन, पेड़ कटाई के लिए वन विभाग की एनओसी, मौजूदा वितरण लाइनों को शिफ्ट करने में देरी करने और भूमि संबंधी विवाद हल करने में देरी हुई। भूमि हस्तांतरण में देरी के कारण परियोजना में विलंब हुआ। इतना ही नहीं 12 विद्युत लाइन कार्य में एनएचएआई, भारतीय रेलवे, पॉवर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया लि. को एसओपी में नौ महीने तक देरी से आवेदन किया गया। पर्यटन विभाग के कारण व्यर्थ हो गए 24.26 करोड़ सपा सरकार के शासन में 2016 में पर्यटन विभाग ने इटावा जिले के सैफई में टूरिस्ट कॉम्पलेक्स और मल्टीलेवल पार्किंग के लिए ठेका दिया था। ठेकेदार जनवरी 2017 तक 24.26 करोड़ का भुगतान किया गया। उसके बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ। योगी सरकार के शासन में मार्च 2017 में दोनों काम बंद हो गए। काम सात साल से अधूरे पड़े हैं, जो काम हुए थे वह भी क्षतिग्रस्त होने लगे हैं। नतीजन विभाग की ओर से खर्च किए गए 24.26 करोड़ व्यर्थ हो गए। टोल वसूली ठेकेदारों को मिला करोड़ों का फायदा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर वर्ष 2019 में टोल प्लाजा पर टोल वसूली, एंबुलेंस और गश्त वाहनों की तैनाती के लिए टेंडर किया गया। मैसर्स ईगल इंफ्रा इंडिया लि. मैसर्स सहकार ग्लोबल लि और मैसर्स इंदरदीप कंस्ट्रक्शन कंपनी लि. को ठेका दिया। तीनों फर्मों से अनुबंध के पंजीकरण में स्टांप शुल्क और ब्याज की 39.61 करोड़ रुपए कम वसूली की गई। —————– ये भी पढ़ें… यूपी में एम्बुलेंस ने 148 पुरुषों को महिला अस्पताल पहुंचाया:सिर्फ 2 अस्पतालों में आग रोकने के इंतजाम, 38% डॉक्टर, 46% नर्स की कमी यूपी में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत खराब है। सरकारी अस्पतालों में 38% डॉक्टर, 46% नर्स की कमी है। इसकी वजह से मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। प्राइमरी स्तर पर स्थिति और भी खराब है। यह खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट-2024 में हुआ है। कैग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई। पढ़ें पूरी खबर…