यूपी सरकार के पशुपालन विभाग में करोड़ों की दवाओं का हेर-फेर किया गया। जो योजना 5 साल पहले बंद हो चुकी है, उसके नाम पर हर साल 8 करोड़ रुपए का बजट पास हो रहा है। पशुओं की प्रेग्नेंसी का पता लगाने के लिए इस्तेमाल होने वाली किट (सीमेन स्ट्राज) का हिसाब-किताब गड़बड़ है। करीब डेढ़ करोड़ किट की एंट्री ही नहीं है। इन किट की कीमत करीब 3 करोड़ रुपए है। लिक्विड नाइट्रोजन खरीद में भी अनियमितता है। यूपी पशुधन विकास परिषद के CEO डॉ. नीरज गुप्ता की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। डॉ. नीरज गुप्ता ने पशुपालन विभाग के मंत्री धर्मपाल सिंह और प्रमुख सचिव के. रवींद्र नाइक को विभाग के डायरेक्टर आरएन सिंह के खिलाफ रिपोर्ट भेजी है। CEO की रिपोर्ट 15 पॉइंट में है, आप उसे 5 हिस्सों में समझिए… 1- बंद योजना के नाम पर पास किए जा रहे 8 करोड़ रुपए
पशुधन विकास परिषद के CEO डॉ. नीरज गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गायों और भैंसों के कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination), प्रजनन सुविधाओं में सुधार के लिए हर साल 8 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जा रहा है। जिस योजना में यह किया जा रहा है, वह 5 साल पहले ही बंद हो चुकी है। ऐसे में ये रकम कहां जा रही है? 2- तीन करोड़ रुपए की प्रेग्नेंसी टेस्ट किट की एंट्री नहीं
यूपी में पशुधन करीब साढ़े छह करोड़ है। गायों की संख्या करीब 1.90 करोड़ है। रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 3 साल में करीब एक करोड़ 43 लाख सीमेन स्ट्राज (पशुओं के गर्भधारण का पता लगाने के लिए इस्तेमाल होने वाली किट) की आपूर्ति की गई। करीब 3 करोड़ रुपए की इन किट की एंट्री भारत पशुधन पोर्टल में नहीं है। स्ट्राज की कीमत बाजार में 30 से 50 रुपए है। भारत पशुधन पोर्टल (पशुओं का डिजिटल रजिस्ट्रेशन, नई योजना की जानकारी देने वाला एप) में 67 फीसदी सीमेन स्ट्राज का कोई अता-पता नहीं है। सीमेन स्ट्राज से ज्यादा कृत्रिम गर्भाधान की एंट्री है। निदेशक ने न तो इसकी जांच की और न ही कोई कार्रवाई की। प्रदेश स्तर पर अतिहिमीकृत वीर्य उत्पादन केंद्र (Cryo-frozen semen production centre) और अन्य का भुगतान भी निदेशालय स्तर से सीधे किया जा रहा है। जबकि यह काम पशुधन विकास परिषद से किया जाना चाहिए। ये महंगी खरीद कर रहे हैं। 3- केंद्र ने पशु बीमा के लिए 3 करोड़ रुपए दिए, पात्रों तक नहीं पहुंची रकम
केंद्र सरकार की ओर से पशुओं के बीमा के लिए 3 करोड़ रुपए जारी किए गए। इसमें 2 करोड़ सामान्य वर्ग और 1 करोड़ रुपए एससी-एसटी के पशुपालकों के लिए था। डायरेक्टर ने यह राशि परिषद को उपलब्ध नहीं कराई। अनुसूचित जाति के पशुपालकों के पशुओं का बीमा किया जा रहा है। सामान्य वर्ग के पशुपालकों के पशुओं का बीमा कुछ महीने से बंद है। यही नहीं, रिपोर्ट में साफ किया है कि जिला स्तर पर 30 फीसदी आईडी गलत पाई गई हैं। फर्जी आईडी में आधार लिंक नहीं था, पशुपालकों की जानकारी भी गलत थी। मतलब, ये फर्जी पशुपालक हैं। निदेशक ने बिना वेरिफाई किए कृत्रिम गर्भाधान और अन्य योजनाओं से जुड़ी प्रोत्साहन राशि ली है। 4- लिक्विड नाइट्रोजन खरीद की टेंडर प्रक्रिया लटकाए रखी
1 अप्रैल, 2024 से सितंबर, 2024 तक कागजों में करीब 8 लाख 13 हजार लीटर लिक्विड नाइट्रोजन की आपूर्ति की गई। जबकि साढ़े 4 लाख लीटर लिक्विड नाइट्रोजन ही उपलब्ध कराई गई। यही नहीं टेंडर की प्रक्रिया भी लटकाए रखी। लिक्विड नाइट्रोजन में स्ट्राज को फ्रीज कर रखा जाता है, इसका तापमान माइनस 196 डिग्री होता है। उन्होंने लिक्विड नाइट्रोजन की जानबूझकर कमी दिखाई। फिर टेंडर प्रक्रिया लटकाए रखी। टेंडर समिति के पांच में से तीन सदस्यों ने टेंडर का अप्रूवल दिया। लेकिन निदेशक के अंडर में आने वाले दो सदस्य रितू सिंह और संयुक्त निदेशक संजय श्रीवास्तव ने टेंडर फाइल पर दस दिनों तक साइन नहीं किए। 5-पशुओं के टीकाकरण में भी धांधली
गायों को 4 से 8 महीने की आयु में एक बार ब्रसोलिसिस (बीमारी) का टीकाकरण किया जाता है। लेकिन 1 अप्रैल से सितंबर, 2024 में भारत पशुधन पोर्टल में 3 लाख 15 हजार टीकाकरण दर्ज हैं। आरोप है, करीब 4 गुना टीकाकरण दिखाया गया है। विभाग के निदेशक पशुपालन से जुड़े कार्यों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। पशुओं में गंभीर बीमारी के मामले सामने आ रहे हैं। निदेशक ने अपर निदेशक रहते हुए हर दो-तीन महीने के अंतर और त्योहारों के अवसर पर जिलों का दौरा किया। इस दौरान पशु चिकित्सा अधिकारियों और पशुधन प्रसार अधिकारियों से वसूली की। इस पूरे मामले में हमने राज्य के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह से बात की। पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा मामले की जांच कराई जा रही है, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। डायरेक्टर बोले-सीईओ पर गंभीर आरोप, जांच चल रही
पूरे मामले में पशुपालन विभाग के डायरेक्टर आरएन सिंह का कहना है कि जिस अनियमितता की बात सीईओ कर रहे हैं, वित्त नियंत्रक (कैग) ने ऑडिट रिपोर्ट में उल्टे उनके (सीईओ) खिलाफ आरोप लगाया है। जांच चल रही है, जल्द ही सच सामने आ जाएगा। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की सही एंट्री न होने को लेकर उनका कहना है कि सीईओ खुद उसके नोडल अफसर हैं। वही आईडी क्रिएट करते हैं, बंद करते हैं। ———————- यह खबर भी पढ़ें… UP में अफसरों का 10% कमीशन फिक्स:पत्नी-बेटे के अकाउंट में रिश्वत मंगवाई, LIC किश्तें भरवाईं; बाबू की डायरी में काला सच
UP में जिला मुख्यालय से लेकर लखनऊ तक के अफसर 10% रिश्वत से मैनेज होते हैं। रिश्वत की यह रकम पत्नी और बेटों के अकाउंट में ऑनलाइन ट्रांसफर कराते हैं। LIC की किश्त और किराया भी जमा कराते हैं। जो अफसर चालाक हैं वो कैश में रिश्वत लेते हैं या किसी के मार्फत। इस काले सच का खुलासा दैनिक भास्कर के इंवेस्टिगेशन में हुआ। पढ़ें पूरी खबर…